भारतीय रेलवे ने यात्री को दिया एक हजार साल आगे का टिकट, टीटी ने लगाया फाइन

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भारतीय रेलवे और इसके द्वारा की गई यात्राएं कभी भूले नहीं भूलती हैं। आप यदि भूल गए हों तो एक बार ट्रेन के जर्नल डिब्बे में सफर का आनंद लेकर देखिये फिर कभी नहीं भूल पाएंगे। इसके अलावा भी बहुत से ऐसी चीजे होती हैं जिनके कारण भारतीय रेलवे चर्चा का केंद्र बना रहता है। इन्हीं में से एक है टिकट प्रिंटिंग की गलती। आपने इस तरह की गलतियों की कई बार चर्चा सुनी होगी जब किसी यात्री को आगे की डेट का टिकट रेलवे खिड़की से पकड़ा दिया गया हो। हाल ही में एक ऐसी ही गलती फिर से सामने आई है लेकिन इस बार गलती कुछ ऐसी है कि आप शायद ही विश्वास करें।

यदि किसी यात्री को 2 या 4 चार दिन आगे की डेट का टिकट गलती से दे दिया जाए तो सोचा जा सकता है पर इस बार रेलवे ने हद ही कर दी। आपको बता दें कि रेलवे ने इस बार एक यात्री को एक हजार वर्ष आगे का टिकट दे दिया। अब जब यात्रा के समय टीटी ने यात्री का टिकट देखा तो उसको बीच यात्रा से उतार दिया गया। कुल मिलकार रेलवे की गलती के कारण परेशानी एक यात्री को उठानी पड़ी। आइये अब हम आपको विस्तार से बताते हैं इस घटना के बारे में।

भारतीय रेलवेImage source:

यह घटना उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में 2013 को घटित हुई थी। यहां के निवासी विष्णुकांत शुक्ला को वर्ष 2013 के स्थान पर 3013 का टिकट गलती से इश्यू हो गया था। इसके बाद इस गलती के लिए विष्णुकांत को ही गलत ठहराया गया। आपको बता दें कि विष्णुकांत 19 नवंबर 2013 को ट्रेन से सहारनपुर से जौनपुर जा रहें थे। उस समय जब इस यात्रा के लिए उन्होंने टिकट लिया था तो उनको यह एक हजार साल आगे का टिकट दे दिया था। यात्रा के दौरान विष्णुकांत को टीटी ने पकड़ लिया तथा उनको दोषी ठहराया और उन पर 800 रुपये की पेनल्टी भी लगा दी।

इसके बाद विष्णुकांत को बीच यात्रा में ही मुरादाबाद स्टेशन पर उतार दिया गया। इतना सब होने के बाद विष्णुकांत उपभोक्ता फोर्म में गए तथा भारतीय रेलवे पर कार्यवाही की। अब 5 वर्ष बाद 2018 वे अपना केस जीत गए और उपभोक्ता फोर्म ने भारतीय रेलवे पर 13 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। इस प्रकार से रेलवे की गलती के कारण एक यात्री को न सिर्फ परेशान होना पड़ा बल्कि अपनी यात्रा बीच में ही छोड़नी पड़ी। खैर अब विष्णुकांत अपना केस जीत चुके है और उनको न्याय मिल गया है।

shrikant vishnoi
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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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