आपने किंग कोबरा का नाम तो सुना ही होगा। लोग अगर इसको दूर से देख भी लें, तो भी डर के मारे चलना भूल जाते हैं, पर हाल ही में 3 लोगों ने किंग कोबरा के अंडों की देखभाल बच्चों के निकलने तक की। जी हां, हाल ही की यह खबर अपने ही देश की है, जिसमें किंग कोबरा के अंडों को मानव द्वारा बचाने के कारण यह खबर काफी वायरल हो रही है।
असल में सांप एक ऐसा सरीसृप माना जाता है जिससे मानव जाति के लोग दूर ही रहना चाहते हैं। ऐसे में किसी सांप के अंडों का लगातार 100 दिन तक संरक्षण करने के कारण ही यह खबर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में है। आइए हम आपको विस्तार से बताते हैं इस खबर के बारे में।
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आपको सबसे पहले बता दें कि यह खबर सामने आई है केरल के कन्नूर नामक क्षेत्र से। असल में यहां के कोट्टीयूर नामक एक गांव से वन विभाग के रैपिड रिस्पॉन्स फोर्स में कार्यरत चंद्रन एमपी को एक फोन आया था। जिसमें कहा गया था कि एक किंग कोबरा देखा गया हैं। इसके बाद में चंद्रन एमपी के साथ ही वन संरक्षणवादी विजय नीलकांदन और गोवरी शंकर भी चल पड़े।
उस स्थान पर पहुंचने के बाद इन लोगों को किंग कोबरा का घोंसला मिला। इस घोंसले में कुछ अंडे भी रखें हुए थे। यह घोंसला मादा किंग कोबरा का था और उसने डर के कारण यहीं अपने अंडे छोड़ दिए थे। इस गांव के लोग कोबरा के अंडों से सांप के बच्चे निकलने को लेकर काफी चिंता में थे। आपको हम बता दें कि किंग कोबरा को दुनिया के सबसे जहरीले सांपों में माना जाता है और इसलिए ही गांव के लोग डर रहे थे कि अंडे से निकलने वाले बच्चे आने वाले समय में बड़े सांप बन जाएंगे और गांव के लोगों को परेशान करेंगे।
आपको बता दें कि इन अंडों की सुरक्षा के लिए लगे गार्ड का घर सांप से घोंसले से करीब 90 किमी की दूरी पर था, पर फिर भी वह हर दूसरे दिन उन अंडो को चेक करके आता था कि वो सुरक्षित हैं या नहीं। आमतौर पर सांप के बच्चे 80 से 105 दिनों में अंडों से बाहर आते हैं। इस तरह से इन लोगों ने सांप के अंडों से बच्चे निकलने तक इसकी निगरानी की।