भूख और गरीबी से जूझते लोगों का सहारा बना है इस व्यक्ति का “रोटी बैंक”

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उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच का भाग बुंदेलखंड कहलाता है और यह इलाका इन दोनों ही प्रदेश के लोगों के बीच बटा हुआ है, कभी “वीरो की धरती” कहलाने वाले इस इलाके में आज कई प्रकार की समस्याएं हैं। यह इलाका काफी समय पहले से गरीबी और सूखे का दंश झेलता आ रहा है, हालाकि इस दौरान कई सरकारे बदली और कई मुख्यमंत्री आए। इस इलाके के लिए कुछ राहत प्रदान करने वाले पैकेजों की घोषणाएं भी हुई, पर आज भी यह इलाका पूरी तरह से सही नहीं हो पाया है। ऐसे में अब यहां के लोगों ने अपनी व्यवस्था को संभालने का कार्य अपने हाथ में लेने का मन बना लिया है और उन्होंने कुछ ऐसा किया है जिसको जानकार सभी लोग इस जगह के लोगों पर गर्व करेंगे।

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बुंदेलखंड के महोबा नामक इलाके के लोगों ने एक बैंक को स्थापित किया है। यह एक रोटी बैंक है, जिसका नाम “महोबा रोटी बैंक” रखा गया है। यह बैंक न तो किसी धर्म जाती या सम्प्रदाय से बंधा है और न किसी धर्मगुरु से, यह बैंक यहां के लोगों द्वारा स्थापित बैंक है, जिसका उद्देश्य सिर्फ इतना है कि “महोबा” नामक इस इलाके में कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए। इस बैंक को पत्रकार तारा पाटकर ने इस इलाके के अन्य लोगों को साथ खड़ा कर स्थापित किया है।

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यहां हम जानकारी के लिए आपको यह भी बता दें कि पत्रकार तारा पाटकर पहले एक न्यूजपेपर में लखनऊ में कार्यरत थे, पर जब उन्होंने अपने लोगों को भूख से मरते देखा और यहां के बद से बदतर होते हालात देखें, तो उनसे रहा नहीं गया और अपने जन्मस्थान महोबा की धरती पर आ गए और यहां अन्य युवाओं को साथ खड़ा कर स्थापित किया “महोबा रोटी बैंक”।

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तारा पाटकर इस बैंक को खोलने के बारे में कहते हैं कि “सभी विचारधारा और दर्शन व्यर्थ हैं, अगर आपके आस-पास कोई भी भूखे पेट सोने के लिए मजबूर है। मैं समाज को अपना योगदान दे सकूं, इसलिए मैं पत्रकार बना। लेकिन मुझे महसूस हुआ कि अभी जमीनी स्तर पर कार्य करने की ज्यादा जरूरत है, इसलिए मैंने अपना कैरियर छोड़ दिया, ताकि मैं समाज सेवा के लिए ज्यादा समय दे सकूं।”, जानकारी के लिए हम आपको यह भी बता दें कि गरीब लोगों के लिए इस बैंक के 12 काउंटर बने हैं तथा आज के समय में यह रोटी बैंक 500 लोगों का रोज पेट भरता है, देखा जाए तो मानव के अंदर में इंसानियत जागने भर की देर होती है, फिर वह समाज में अपना योगदान खुद ही करने लगता है, आज के लोगों को पत्रकार तारा पाटकर से समाज सेवा का और समर्पण से संदेश लेना चाहिए।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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