सांप के जहर को मुंह से खींच लेता है यह विष पुरुष, बहुत लोगों को दे चुका हैं नया जीवन

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आपने विषकन्याओं के बारे में काफी कुछ पढ़ा व सुना होगा, पर क्या आपने “विषपुरुष” के बारे में कभी सुना है। आपके लिए शायद यह शब्द नया होगा। आज आपको हम बता रहें हैं एक ऐसे ही विष पुरुष के बारे में। यह व्यक्ति अपने में एक अनोखा ही हुनर रखता है। इस व्यक्ति का नाम “वैद्यराज सुंदर सेन” है। दरअसल बात यह है कि वैद्यराज सुंदर सर्पदंश के शिकार लोगों के शरीर से सांप के जहर को चूस कर बाहर निकाल देते हैं। यही कारण है कि बहुत से लोग इनको विष पुरुष कहते हैं।

वैद्यराज सुंदर छत्तीसगढ़ प्रदेश के बस्तर जिले के अंतर्गत चोकावाड़ा क्षेत्र के निवासी हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि अपने इस अनोखे हुनर का उपयोग वे पिछले 15 वर्ष से लोगों को नया जीवन देने के लिए कर रहें हैं और अब तक 167 लोगों की जान बचा चुके हैं। जब भी वे किसी सर्पदंश के शिकार व्यक्ति का इलाज करते हैं तो न खुद कुछ खाते हैं और न ही पीड़ित को खिलाते हैं। इसी कारण से वैध सुंदर सारे बस्तर जिले में विष पुरुष के नाम से प्रसिद्ध हैं।

विष पुरुषImage Source:

धनपुंजी गांव छत्तीसगढ़ और उड़ीसा राज्य की सीमा पर है। इसी गांव में वन विभाग का एक औषधालय भी स्थापित है। यहीं पर वैध सुंदर सेन वैद्यराज के पद पर सन् 2002 से नियुक्त हैं। वैध सुंदर को वनौषधियों का अच्छा ज्ञान है और वे लोगों की आम बीमारियों का इलाज इन्हीं वनौषधियों से सफलतापूर्वक करते हैं। सांप का जहर निकालने का हुनर तथा वनौषधियों का ज्ञान वैध सुंदर को अपने “गुरु मानसाय जी” से मिला है।

औषधालय में वैद्यराज के पद पर कार्य करते हुए उनको 3 हजार रूपए मानदेय भी मिलता है। वैध सुंदर बताते हैं कि जब वह 15-20 साल के थे तब से ही उनके गुरु ने उनको यह काम सिखाना शुरू कर दिया था। तब उनके गुरु ने उनको लम्बे समय तक विशेष जड़ी बूटी का सेवन कराया था। इसके सेवन के बाद अब उनको किसी भी प्रकार के सांप का जहर नहीं चढ़ पाता है।

सर्पदंश के शिकार व्यक्ति के घाव को पहले वे गर्म पानी से धोते हैं और उसके बाद वे अपने मुंह से चूस कर सांप का जहर घाव से बाहर निकाल देते हैं। वे इस काम के लिए न कोई फीस लेते हैं और न ही पीड़ित को कोई दवाई देते हैं। सभी लोगों को यहां आराम हो जाता है। इस प्रकार से वैध सुंदर अब तक अनेक लोगों को नया जीवन दे चुके हैं तथा अब लोग उनको विष पुरुष के नाम से जानते हैं।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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