चमत्कार : मां वैष्णो देवी के 6 रहस्य जिन्हें जानकर चौंक जाएंगे आप

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उत्तरी भारत में सबसे पूजनीय पवित्र स्थलों में से एक है हिंदूओं का वो पवित्र मंदिर जिसे लोग माता वैष्णो के नाम से जानते हैं। यह जम्मू और कश्मीर के 5,200 फीट की ऊंची पहाड़ियों में स्थित है। यहां पर हर साल लाखों तीर्थयात्री माता वैष्णो के दर्शन करने दूर देश से खींचे चले आते है। क्योंकि इस जगह पर मां देवी की चमत्कारी शक्ति का वास है जो श्रद्धालुओं के दुखों को हरण करती है। यह मंदिर ऐसे रहस्यों से भरा पड़ा है जिनके बारे में न आपने पहले कभी सुना होगा और ना ही जाना होगा, पर आज हम आपको इस मंदिर के बारे में कुछ रहस्यपूर्ण बातें से अवगत करा रहें हैं।

1. कुछ वर्षों पहले मां देवी के मंदिर में उनके दर्शन के लिए भक्तों को एक प्राचीन गुफा से होकर गुजरना पड़ता था। अब इस गुफा में नया रास्ता बना दिया गया है। यह गुफा बहुत ही चमत्कारी होने के साथ ही रहस्यों से भरी हुई है।
2. इस प्राचीन गुफा के अंदर जैसे ही हम पहुंचते है वहां पर एक जल स्रोत भी मिलता है जिससे गुजरकर ही हमें आगे की ओर जाना होता है। यह जल कहां से आता है इसकी जानकारी आज तक नहीं लग पाई है। इसी जल से शुद्ध होकर हर व्यक्ति मां के दर तक पहुंचता है। जिसके कारण उसके पाप पहले से ही धुलने लगते है।

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3. मां देवी मंदिर के दरबार तक पहुंचने के रास्ते में कई घाटी आती है, जिसमें कई पड़ाव भी आते हैं, जिनमें से एक पड़ाव है आद‌ि कुंवारी (अर्ध कुंवारी)। इस रास्ते में आने वाली गुफा को गर्भजून के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यहां पर मां जगदम्बा गर्भ में पल रहे शिशु के समान 9 महिने तक विराजी थी।

4. जिस गुफा में मां भगवती रहती थी, उस गुफा की लंबाई 98 फीट के लगभग की है। यहां पर अंदर जाने और बाहर निकलने के लिए दो कृत्र‌िम रास्ते बनाएं गए है और जहां पर माता विराजी है वहां पर एक काफी बड़ा चबुतरा भी बनाया गया है।

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5. गर्भजून गुफा के बारे लोगों का कहना है कि इस गुफा में जाने के बाद से मनुष्य को फ‌िर दुबारा गर्भ में नहीं जाना पड़ता है। यदि मनुष्य गर्भ में आता भी है तो उसे किसी भी प्रकार के कष्टों को नहीं झेलना पड़ता। उसका जन्म सुख एवं वैभव से भरा होता है।

6. मां वैष्णो देवी के दर की प्राचीन गुफा में आज भी भैरव का शरीर पड़ा हुआ है लोगों की मान्यता है कि जिस वक्त मां भगवती ने इस प्राचीन गुफा में भैरव को अपने त्र‌िशूल से मारा था, उस वक्त उसका धड़ माता के भवन से तीन किलोमीटर दूर जा गिरा, जहां पर वर्तमान में भैरव मंदिर बना हुआ है।

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