आज जहां पश्चिम के लोग भारतीय दर्शन का मजाक उड़ाते हैं, वहीं आज के पढ़े लिखे कुछ लोग भी इसे ज्यादा महत्व नहीं देते। आज हम आपको इस तथ्य के अवगत कराएंगे कि भारतीय दर्शन में वृक्ष पूजा का जो विधान बताया गया है उसके पीछे असल में क्या वैज्ञानिकता है। आखिर क्या कारण रहे हैं, जिनकी वजह से हिन्दू दर्शन आज वैज्ञानिकता से सराबोर हो जाता है।
तुलसी-
तुलसी पूजन हर हिंदू के घर में होता है। इस पौधे का स्वास्थ्य एवं मन पर कितना प्रभाव पड़ता है इस संबंध में अभी तक नयी-नयी बातें मालूम हो रही हैं। सैकड़ों रोगों की दवा तथा घर की गंदगी भरी हवा को दूर करने वाला पौधा तुलसी है। तुलसी जहां आपके घर के वायु प्रदूषण को दूर कर आपको बीमारियों से बचाता है, वहीं तुलसी का सेवन आपके स्वास्थ्य और रोगप्रतिरोधक शक्ति को लगातार बढ़ाता रहता है। यहां तक कि तुलसी का सेवन कैंसर में भी बहुत लाभदायक होता है।
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पीपल-
संसार में पीपल ही एक मात्र ऐसा वृक्ष है जिसमें कोई रोग नहीं लग सकता। कीड़े प्रत्येक पेड़ तथा पत्तों में लग सकते हैं, परंतु पीपल में नहीं। वट वृक्ष की दार्शनिक महिमा है। यह ऊर्ध्व मूल है, यानि इसकी जड़ ऊपर, शाखा नीचे को आती है। इसके पूजन का बड़ा महत्व है। ज्येष्ठ के महीने में वट सावित्री का बड़ा पर्व होता है, जिसे बरगदाई भी कहते हैं।
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आंवला-
आंवले के सेवन से शरीर का कायाकल्प हो जाता है। इसके वृक्ष के नीचे बैठने से फेफड़े का रोग नहीं होता है, चर्म रोग नहीं होता है। कार्तिक के महीने में कच्चे आंवले तथा आंवले के वृक्ष का स्वास्थ्य के लिए विशेष महत्व है। इसलिए कार्तिक में आंवले के वृक्ष का पूजन, आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करने की बड़ी पुरानी प्रथा इस देश में है। इसके अलावा आंवले के फल का बहुत महत्व है। इसका फल स्वास्थ्य की दृस्टि के बहुत लाभदायक होता है।
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अशोक-
चैत्र मास, शुक्ल पक्ष, अष्टमी को पुनर्वसु नक्षत्र में जो लोग अशोक वृक्ष की 8 कली को (उसके अर्क को) पीते हैं उनको कोई शोक नहीं होता। अवश्य ही इस अशोक कली का कोई आयुर्वेदिक महत्व होगा, जिससे रोग दोष नष्ट होता होगा। कहा गया है कि अशोककलिकाश्चाष्टौ ये पिबन्ति पुनर्वसौ। चैत्रमासे सितेऽष्टम्यां न ते शोकमवाप्नुयुः।। दौना (दमनक) की पत्तियां मीठी सुगंध देती हैं।
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इस प्रकार से यह सिद्ध होता है कि भारतीय हिन्दू दर्शन में प्रत्येक कार्य के पीछे एक वैज्ञानिकता है जिसके कारण सभी लोग लाभान्वित हो सकते हैं।