ये बच्चे बने मिसाल, जान पर खेल कर जाते है स्कूल

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कहा जाता बच्चे पढ़ाई कर बड़े होकर देश का भविष्य बनते है। इसके अलावा आपके एक विज्ञापन में भी सुना होगा कि ‘ पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया’। कुल मिलाकर कोई भी पढ़ाई को बढ़ावा देने से पीछे नहीं हटता, जो की अच्छी बात है। हमारे देश के अधिकतर शहरी बच्चे स्कूल में बस से या तो अपने मां-बाप के साथ गाड़ी में जाते है। वहीं आज हम आपको कुछ ऐसे बच्चों के बारे में बताने जा रहे है जिनकी किस्मत सामान्य बच्चों जैसी नहीं है। दुनिया के एक विकसित देश के गांव में हालत इतनी खराब है कि वहां बच्चे जान हथेली पर रख कर स्कूल जाते है। यहां हम बात अपने देश की नहीं कर बल्कि साउथ-वेस्ट चाइना के गांव एतुलेर की कर रहे हैं, जहां दर्जनों छोटे और मासूम बच्चे 2,624 की ऊंचाई का सफर तय कर स्कूल पढ़ाई करने जाते है। जिसमें उन्हें दो घंटे का रास्ता पार करना होता है। आपको जान कर ताज्जुब होगा कि ये बच्चें दो घंटे में जान पर खेल कर 17 चट्टानें पार करते है।

school-3_1464094918Image Source :http://i9.dainikbhaskar.com/

इन बच्चों की स्कूल जाती तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है। ये जानकर आपका कलेजा चिर जाएगा कि इन दर्जनों बच्चों में 6 से 15 साल तक की उम्र के बच्चे भी शामिल है। इन ऊंची चट्टानों को पार करते वक्त इस नाजुक बच्चों की पीठ पर कई किलों का बस्ता भी होता है। ये गांव सिचुआन प्रॉविन्स के झाओजू काउंटी में है जहां पर मात्र 72 परिवार रहते है। इन में अधिकतर परिवार मिर्च की खेती कर के गुजारा चलाते है।

school-4_1464094919Image Source :http://i9.dainikbhaskar.com/

एक बार स्कूल आने के बाद दो हफ्तों तक घर नहीं जाते है

जी हां ! ये बच्चे हालात के आगे इतने मजबूर है की एक बार स्कूल का सफर तय करने के बाद 2 हफ्तों तक स्कूल में ही रुकते है। बच्चों को स्कूल लाने जाने के दौरान मां-बाप संग ही होते है। बच्चों की सुरक्षा के तौर पर उनकी कमर पर रस्सी बांध दी जाती है ताकि संतुलन खराब होने पर उन्हें बचाया जा सके। हालात तब ज्यादा बिगड़ जाती है जब कुदरत का कहर बरपाता है। बरसात और बर्फबारी के दौरान बच्चों का स्कूल जाना दूभर हो जाता है।

school-2_1464094918Image Source :http://i9.dainikbhaskar.com/

यहां के रीजनल सेक्रेटरी का कहना है कि अब तक चट्टानों से गिरकर 8 लोगों की मौत हो चुकी है। यहां सड़क के निर्माण को लेकर लोग सरकार को कई बार प्रार्थना कर चुके है लेकिन कम आबादी और ज्यादा लागत को लेकर अब तक सड़क नहीं बन पाई है। इस बात से ये तस्वीर तो साफ होती है कि इस गांव में लोगों से ज्यादा रुपयों का मोल समझा जाता है।

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