जिस प्रकार से अलग अलग धर्म में उस एक परम पिता के लिए अलग अलग नाम प्रयुक्त किये जाते हैं। उसी प्रकार से इस्लाम में उसके लिए खुदा या अल्लाह शब्द का प्रयोग किया जाता है। हिंदू लोग साकार तथा निराकार ब्रह्म दोनों ही उपासना विधियों का प्रयोग करते हैं लेकिन मुस्लिम सिर्फ निराकार ईश्वर की उपासना करते हैं। अल्लाह शब्द का संधि विच्छेद अल+ इलाह होता है। जिसका अर्थ होता है “एकमात्र उपासना योग्य ईश्वर”, इस्लाम धर्म में तीन मूल आस्थाएं हैं। आइये सबसे पहले आपको इन तीन आस्थाओं के बारे में बताते हैं।
1 – तौहीद – जो एक ही ईश्वर में विश्वास रखता हो।
2 – रिसालत – जो नबी या ईश दूत में विश्वास रखता है।
3 – आखिरत – मृत्यु के बाद के जीवन पर विश्वास करना।
अल्लाह के नाम लेने से पहले जरुरी तौर तरीके –
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आप वैसे तो उस परम सत्ता के नाम को कहीं भी ले सकते हैं लेकिन अच्छा हो कि यदि आप उनको सही तरीके तथा अकीदे से लें। यहां हम आपको अल्लाह के नामों को लेते समय ध्यान रखने वाली कुछ जरुरी बातें बता रहे हैं
1 – जिस स्थान पर नाम लें। वह स्थान साफ तथा पाक होना चाहिए।
2 – नामों का पढ़ने वाले शख्स का मुंह पाक साफ होना चाहिए।
3 – नामों को धीरे धीरे श्रद्धा, विश्वास तथा प्रेम से पढ़ें।
माना जाता है कि अल्लाह के 3 हजार नाम है लेकिन पैगम्बरों ने मानव जाती को एक हजार नाम बताएं हैं। इनमें से 300 नाम तौरात में दिए गए हैं। 300 नाम इंजील में तथा 300 नाम जबूर में दिए गए हैं। इसके अलावा 100 नाम कुरआन में दिए गए हैं। आइये अब आपको बताते हैं अल्लाह के 5 नाम।
अल्लाह के 5 नाम –
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1 – या अल्लाह।
2 – या अब्बल।
3 – या मुजीब।
4 – या करीम।
5 – या रहमान।
पवित्र कुरआन में अल्लाह के 99 नाम दिए गए हैं। हर नाम अपने में पवित्र है। हर नाम आखिरत में जन्नत के दरवाजे की ताली का काम करता है। इनमें किसी भी नाम को यदि आप लेते हैं तो आपके जीवन में सकारात्मकता आती है तथा आपकी समस्याएं दूर होने लगती हैं।