गर्मी का मौसम आ चुका है, ऐसे में आपने बहुत से लोगों को धूप से बचने के लिए आंखों पर चश्मा लगाएं देखा होगा। आज बहुत बड़ी संख्या में लोग सनग्लासेज का यूज करते हैं। इसके अलावा कई लोग सिर्फ फैशन के लिए ही चश्मा पहन लेते हैं। देखा जाए तो आमतौर पर इनका इस्तेमाल धूप के समय आंखो को बचाने के लिए किया जाता है। मगर क्या आप जानते है कि चश्मों का आविष्कार धूप से बचाव के लिए किया ही नहीं गया था और न ही फैशन के लिए। असल में चश्मों का आविष्कार किस लिए हुआ था, उसके पीछे एक प्राचीन घटना है। आइये अब आपको विस्तार से उस घटना के बारे में बताते हैं।
चीन में जजों के लिए हुआ चश्मों का अविष्कार –
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असल में चश्मों का आविष्कार चीन के जजों के लिए 12वीं शताब्दी में किया गया था। जैसा कि आप जानते ही हैं कि जजो को कानून के दायरे में रहते हुए निक्ष्पक्ष होकर फैसला सुनाना होता हैं। कई फैसले ऐसे भी होते हैं जो जजों की ही भावनाओं को ठेस पहुचातें हैं। चीन में जब एक बार जजो द्वारा इसी प्रकार के फैसले सुनाए जाने लगे तो लोग उनकी आंखों में बहुत गहराई से देखने लग गए। इसके जरिए लोग यह पता लगाने की कोशिश करते थे कि क्या खुद जज भी कड़े फैसले के हक में है या नहीं। उस समय जजों को इस प्रकार की कई समस्याएं पेश आ रही थी। आखिरकार इन समस्याओ हल निकालते हुए चश्मों का आविष्कार किया गया ताकि कोई उनसे आई कॉन्टेक्ट न कर सके।
चीन से इटली पंहुचा चश्मा –
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चीन में चश्मों का आविष्कार तथा उपयोग होने के बाद में यह इटली पहुंच गया। वहां के लोग भी चश्में का यूज करने लगे। आपको बता दें कि 12वीं से 18वीं शताब्दी तक चश्मों का कलर काला ही रहा। 18 वीं शताब्दी के बाद रंगीन शीशे के चश्में बाजार में आये, लेकिन उस समय तक भी इसका यूज धूप से बचाव हेतु नहीं किया गया था। 19वीं शताब्दी में जब आम लोगों तक इसकी पहुंच बनी तथा आम और खास लोग इसका यूज धूप से बचाव तथा फैशन के लिए करने लगे। उस समय जाकर चश्में का वह रूप सामने आया जिसको हम आज जानते हैं।