खूंखार आतंकी जंग को छोड़, देश के लिये बना सबसे बड़ा मसीहा

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भारत का वीर जवान हूँ मैं, ना हिन्दू, ना मुसलमान हूँ मैं,

जख्मो से भरा सीना हैं मगर, दुश्मन के लिए चट्टान हूँ मैं,

भारत का वीर जवान हूँ मैं

इस कविता को सच करने वाले शहीद लांस नायक नाजिर अहमद वानी की कुर्बानी को पूरा देश भूला नही पायेगा। जिसने देश को बचाने के खातिर अपने शरीर की आहूती दे डाली। तिरंगे में लिपटा उनका शरीर हर कर्ज को समय के साथ उस समय उतार रहा था जब उनकी अंतिम विदाई के मौके देश का हर इंसान उनकी कुर्बानी को याद करते हुये रो रहा था।

शहीद

कभी ये जवान इस देश के लोगों काफी बड़ा खतरा था। क्योकि इनकी देश के प्रति बढ़ती नफरत भारत की इस धरती को लोगों के खून से सींचने की थी। जिसके खातिर ही वो एक खूंखार आतंकी बने थे। लेकिन जब उन्हें अपने किये पर पछतावा हुआ, तो हिंसा का रास्ता छोड़, देश सेवा के लिए समर्पित होने के लिये भारतीय सेना में शामिल हो गए।

इसके बाद से इस वीर जवान नें देश की शातिं और अमन चैन लाने की कसम खा ली। 25 नवंबर (रविवार) का वो काला दिन जब शोपियां में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए उस मैदान पर उतर गये जहां शोपियां मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने एक के बाद एक करके छह आतंकियों को मार गिराया था। जिसमें लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिद्दीन के आतंकवादी शामिल थे और उनसे लड़ते लड़ते वो देश के लिये शहीद हो गए।

शहीद

नाजिर अहमद वानी 2004 में सेना में शामिल हुए थे और सेना में रहते हुए दो बार उन्हे अगस्त 2017 और 2018 में सेना मेडल से सम्मानित किया गया। वानी के घर में पत्नी और दो बच्चे हैं। उन्हें सुपुर्द ए खाक करते समय 21 तोपों की सलामी दी गई। इस मौके पर करीब 500 से 600 लोक मौजूद थे। उनका गांव आतंकी गतिविधियों के लिए कुख्यात है। लेकिन जैसे की वानी की मौत की खबर लगी गांव में मातम छा गया। उनकी शहादत को वतन हमेशा याद रखेगा।

Pratibha Tripathi
Pratibha Tripathihttp://wahgazab.com
कलम में जितनी शक्ति होती है वो किसी और में नही।और मै इसी शक्ति के बल से लोगों तक हर खबर पहुचाने का एक साधन हूं।

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