‘कोहिनूर’ पर अपना दावा ठोंक रहा ये चायवाला!

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यह बात तो सभी को अच्छे से पता है कि कभी भारत की शान रहा ‘कोहिनूर’ अब ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के ताज को सुशोभित कर रहा है। इसको वापस अपने देश लाने की मांग को लेकर भारत और ब्रिटेन के बीच चर्चा जारी है। अभी ‘कोहिनूर’ के भारत वापस आने की राह भी साफ नहीं हुई थी कि जबलपुर के एक चाय का ठेला लगाने वाले ने इस ‘कोहिनूर’ पर अपना दावा कर दिया है। इस व्यक्ति का नाम स्टेनली जॉन लुईस है।

स्टेनली के मुताबिक ये ‘कोहिनूर’ भारत सरकार की नहीं बल्कि उसकी खानदानी पैतृक संपत्ति है। जिसे वह लेकर ही रहेगा। इस मामले को लेकर उसने साल 2006 और 2008 में ब्रिटेन के तत्कालीन और मौजूदा प्रधानमंत्री को कानूनी नोटिस तक भेज रखा है। जिसके जवाब में 10 डाउनिंग स्ट्रीट लंदन की तरफ से मिले लेटर्स में उन्हें जवाब मिला कि उनके पत्रों पर विचार किया जा रहा है। स्टेनली ने हाईकोर्ट में दायर की गई पिटीशन के साथ इन जवाबों के पत्रों को सलंग्न किया है।

kohinoor-07_1461520925Image Source :http://i9.dainikbhaskar.com/

ऐसा माना जाता है कि इस बेशकीमती हीरे की कीमत 150,000 करोड़ के करीब है। जिससे करीब 700 सालों तक पूरी दुनिया का पेट भरा जा सकता है। बता दें कि साल 2008 में मध्यप्रदेश की हाईकोर्ट में डाली गई पिटीशन के मुताबिक लुईस ने अपने आपको क्रिस्टोफर कोलंबस का वंशज होने का दावा भी किया है। कोलंबस ने ही इंडिया की खोज की थी। उनके मुताबिक यह हीरा उनके परदादा, जिनका नाम एलबर्ट लुईस है (सन् 1800) की धरोहर है। जिसे कई राजा महाराज अपने कब्जे में करने की चाल को भिड़ाते रहे। जिसके बाद उनके पैतृक खानदान की ये धरोहर इसी तिकड़म के चलते ईस्ट इंडिया कंपनी के सुपुर्द हो गई।

स्टेनली की मांग है कि एमपी हाईकोर्ट में उनकी पिटीशन पर तेज सुनवाई की जाए, क्योंकि अगर याचिका खारिज कर दी जाती है तो वह फिर सुप्रीम कोर्ट को दरवाजा खटखटाएंगे। सुप्रीम कोर्ट उनकी इस याचिका को खारिज नहीं कर सकता क्योंकि अगर सुप्रीम कोर्ट ऐसा करता है तो फिर भारत का भी कोहिनूर पर से दावा हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। ऐसे में बेहतर यही रहेगा कि सुप्रीम कोर्ट अन्तर्राष्ट्रीय कोर्ट हेग नीदरलैंड में अपील करने की आजादी देकर इस केस को हल कर दे।

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बता दें कि कोहिनूर पर दावा करने वाले लुईस जबलपुर के रेलवे स्टेशन पर चाय का ठेला लगाते हैं और जो वकील उनका केस लड़ रहा है उसे फ्री में चाय भी पिलाते हैं। इनकी उम्र 59 साल है। वह जूडो कराटे में ब्लैक बेल्ट और पैराग्लाइडिंग में एक्सपर्ट भी हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इनकी आय का स्त्रोत सिर्फ रेलवे स्टेशन के पास उनका ढाबा और चाय का ठेला है। जिससे वह इस केस को लड़ रहे हैं। वहीं, वह इंडिया के प्रेसिडेंट पद के चुनाव में प्रत्याशी भी रहे चुके हैं। बता दें कि एक बार स्टेनली की पिटीशन को जज ने वकील की कमी के कारण खारिज कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने कोहिनूर को लेकर अपनी मांग रखी और 6500 वकीलों का वकालतनामा साइन कराकर उन्हें अपनी तरफ किया। अपनी पिटीशन में उन्होंने ईसाई धर्मग्रंथ बाईबल के एनेक्जर का भी जिक्र किया है। जिसमें लिखा गया है कि जिसकी जो चीज है उसे वह लौटा दी जाए।

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