लंदन की नौकरी में ना लाग्यो मन, भारत को शिक्षित करने आयो ‘शुवाजित’

0
399

अपने लिए जिए तो क्या तुम जिए, अपने लिए तो सभी जीते हैं, लेकिन जिंदगी का असली मजा तो दूसरों के लिए जीने में है। अब आप जरूर सोच रहे होंगे कि हम ऐसा क्यों बोल रहे हैं, लेकिन ये बात हम सभी में से किसी एक इंसान पर एकदम सटीक बैठती है और वो हैं शुवाजित पायने। आज हम आपको लंदन से भारत आए शुवाजित पायने की कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसको जानने के बाद अगर आपने स्वदेश फिल्म देखी है तो आप इन्हें असल जिंदगी का स्वदेश फिल्म का मोहन कहेंगे।

08shuva3-750x500Image Source :http://thelogicalindian.com/

इनकी कहानी भी शाहरुख की फिल्म स्वदेश से काफी ज्यादा मिलती जुलती है जो लंदन से भारत तो आता है, लेकिन यहां की समस्याओं और हालातों को देखते हुए इनको सुधारने के लिए यहीं रुक जाता है। ऐसे ही कुछ असल जिंदगी के मोहन हैं शुवाजित पायने, जिन्होंने अपनी लंदन की नौकरी को ठोकर मार दी और भारत में आकर लोगों को शिक्षित करने में जुट गये।

शुवाजित पायने वैसे भारत से ही हैं। उन्होंने लखनऊ के आईआईएम से एमबीए किया है। साथ ही इकॉनमिक्स से स्नातक हैं, लेकिन अब लंदन की आईबीएम कंपनी में नौकरी नहीं कर रहे हैं बल्कि अपने देश के एक गांव में ही लोगों की भलाई के लिए उन्हें पढ़ाने में लगे हुए हैं। उनके लिए लंदन की नौकरी को ठोकर मारकर ऐसे गांव में लोगों को कम्प्यूटर पढ़ाने में लगना आसान नहीं था। उन्हें इसके लिए अपने परिवार और रिश्तेदारों से कई बातें भी सुननी पड़ी, लेकिन वह अपने फैसले पर अडिग रहे और एसबीआई के जरिए चलाए जा रहे यूथ फॉर इंडिया के प्रोग्राम से जुड़कर महाराष्ट्र के वर्धा जिले में पहुंच गये। वहां उन्होंने बड़ों से लेकर बच्चों सभी को कम्प्यूटर पढ़ाना शुरू किया।

Shuvajit2Image Source :http://www.thebetterindia.com/

उन्हें ऐसा करते हुए करीबन एक महीना हो गया है। अब वह लंदन की हाई क्लास नौकरी को छोड़ने के बाद एक छोटे से कमरे में रहते हैं, जिसमें बस एक लैपटॉप, चटाई और कुछ पानी की बोतलें रखी हुई हैं।

08shuva5Image Source :http://im.rediff.com/

वह अपने इस कदम से आज के वक्त में काफी खुश हैं। उन्हें अपनी लंदन की नौकरी को छोड़कर गांव में ऐसे लोगों को पढ़ाने में कभी लंदन और ऐशो आराम की याद नहीं आती। हां, यहां आकर उन्हें थोड़ा हिन्दी में समस्या जरूर हुई लेकिन उसको भी उन्होंने अब काफी सुधार लिया है। आज के वक्त में गांव के लोग उन्हें काफी पसंद करते हैं। साथ ही गांव के लोग भी उनके इस नेक कदम के लिए उन्हें सलाम करते हैँ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here