वैज्ञानिकों ने जमीन से निकाला 20 फिट लंबा बिना सिर का कंकाल, देख कर हैरत में पड़ गए लोग

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जमीन के अंदर कौन कौन से राज दफन हैं, कोई नही जानता। हमारी दुनिया को बसे कई करोड़ो वर्ष बीत चुके हैं। उस प्राचीन समय से अब तक न जाने कितनी सभ्यताएं आई और चली गई। इस बात का किसी को नहीं पता हैं। इसी प्रकार का हाल जीव जंतुओं के जगत का भी हैं। तब से अब तक न जाने कितनी ही प्रजातियों के जंतु आए और विलुप्त हो गए। कभी हमारी इस दुनिया में डायनासोर रहा करते थे, पर अब वे पूरी तरह से विलुप्त हो चुके हैं।

आज भी कई जगहों पर खुदाई में उनके अवशेष मिलते हैं। इसी प्रकार एक खुदाई के दौरान वैज्ञानिको को 20 फिट का एक विशाल कंकाल मिला हैं। इस विशाल कंकाल को देख कर न सिर्फ सभी लोग बल्कि खुद वैज्ञानिक भी हैरान रह गए। वैज्ञानिको सहित अन्य लोगों के मन में यही विचार चल रहा था कि क्या इतना विशाल पशु अपनी ही धरती पर रहा करता था। खुदाई में मिलेइस कंकाल का सिर नहीं हैं परंतु इसकी पसलियां हैं जिनकी संख्या 27 बताई जा रही हैं।

वैज्ञानिकों ने किया खुलासा –

कंकालImage Source:

इस विशाल कंकाल को देख कर पहले वैज्ञानिक इसे किसी दानव का कंकाल समझ रहें थे, पर बाद में रिसर्च से इसकी सच्चाई सामने आई। वैज्ञानिकों का कहना हैं कि यह उनको समुद्र के पास की जमीन से मिला हैं। इसका कुछ हिस्सा जमीन से बाहर निकला हुआ था। इस जमीन से निकले हिस्से को देख कर हम लोगों ने इस स्थान पर खुदाई का कार्य शुरू किया। खुदाई का यह कार्य 8 घंटे तक लगातार चला। कंकाल निकलने के बाद में वैंज्ञानिकों ने इस पर रिसर्च की और पाया की असल में यह एक समुद्र गाय (Sea Cow) थी। जिसका वजन 10 टन तथा लंबाई लगभग 30 फिट के आसपास रही होगी।

कई साइंटिस्ट इस जीव को देखने का दावा कर चुके हैं। बताया जा रहा हैं कि 17 वीं शताब्दी में इस जीव को सबसे ज्यादा शिकार बनाया जाता था। यही कारण हैं की यह जीव धीरे धीरे धरती से विलुप्त हो गया। इस जीव को उस समय सबसे ज्यादा शिकार बनाया जाता था जब कोई लंबी समुद्री यात्रा करता था। असल में इस एक जीव से समुद्री यात्रा के दौरान 22 लोगों के 30 दिन का भोजन बन जाता था। एक वैज्ञानिक का कहना हैं कि इस प्रजाति का नाम “Sirenia” हैं। जमीन में निकले इस कंकाल पर अभी भी वैज्ञानिक रिसर्च कर रहें हैं।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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