मैं कड़वी यादों को भूलाना चाहता हूं- संजय दत्त

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बॉलीवुड के खलनायक संजय दत्त पुणे की यरवदा जेल में अच्छे प्रदर्शन के चलते सजा पूरी होने से 103 दिन पहले ही रिहा हो गए। रिहाई के समय संजय कंधे पर एक बड़ा सा बैग और दूसरे हाथ में अपनी फाइल लेकर बाहर निकले थे। यरवदा जेल के बाहर मीडिया सहित उनके पूरे परिवार संग निर्माता राजू हिरानी संजय दत्त का बेताबी से इंतजार कर रहे थे। संजय दत्त ने घर लौटने के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान भावुक होते हुए कहा कि “ मैं आतंकवादी नहीं हूं! 1993 में हुए मुंबई सीरियल ब्लास्ट के मामले में दोषी के तौर पर सजा काटने की कड़वी यादों को भुलाना चाहता हूं।”

संजय दत्त आगे बोले कि मुझे आरोपों और साजिश रचने के चलते आईपीसी की धारा 120(बी) और टाडा के तहत आरोपों से बरी कर दिया गया है। मीडिया से निवेदन करते हुए वह बोले कि आप अगर मेरे बारे में लिखें तो 1993 के ब्लास्ट को मेरे नाम से ना जोड़ें क्योंकि इन कड़वी यादों को मैं भुलाना चाहता हूं।

1Image Source: http://images.indianexpress.com/

यरवदा जेल से निकलने के बाद संजय दत्त ने सिद्धि विनायक मंदिर के दर्शन किए। उसके बाद मां नर्गिस की कब्र पर पहुंचे। यहां से निकलने के बाद संजय दत्त ने कहा कि वो जेल से बाहर निकलने के बाद बेहद खुश हैं। वो 23 साल से जिस आजादी का इंतजार कर रहे थे वो आज उन्हें मिल गई है। पिता सुनील दत्त का जिक्र करते हुए कहा कि आज वो जिंदा होते तो काफी खुश होते, क्योंकि ये आजादी उनका सपना था।

जेल में ऐसे बिताए 42 महीनें-

पुणे की यरवदा जेल में संजय दत्त कैदी नंबर 16656 के नाम से जाने जाते थे। उनको 10 बाई 10 फुट के 185 हाई सिक्योरिटी सेल में रखा गया था। सुनने में आया था कि संजय दत्त को जेल में कोई विशेष सुविधा नहीं मिली थी। वो जेल में पेपर बैग और टोकरियां बनाने का काम करते थे और जेल प्रशासन के साथ मिलकर एक रेडियो सेवा शुरू की थी। इसके साथ ही संजय प्रोग्राम के लिए स्क्रिप्ट भी लिखा करते थे।

जेल प्रशासन का कहना है कि वो जेल में काफी पूजा करते थे। उनके सेल में हनुमान जी और गणेश जी की तस्वीरें लगी हुई थी। साथ ही संजय दत्त रोजाना भगवतगीता पढ़ते थे। जेल के अंदर उन्होंने 440 रुपयों की कमाई की थी, जिसको पत्नी मान्यता के हाथों में सौंप दिया था।

INDIA BOMBINGS VIRDICTImage Source: https://www.gg2.net/
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Born to 'READ' and 'WRITE' A journalism graduate from International Polytechnic for women. A young writer with the fond of writing over entertainment and socio-political issues in various verses.

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