वैसे तो अपने देश में पुरातन काल से ही किसी चीज की कमी नहीं रही है पर आज हम बात अपने देश की मानव सभ्यता की नहीं बल्कि यहां की एक नदी की कर रहें हैं। इस नदी में करोड़ो की संपत्ति दफ़न है, तो यही कहना चाहिए की यह नदी अभी फिलहाल किसी कमी से नहीं जूझ रही है। हम बात कर रहें हैं शिप्रा नदी की, जिसके किनारे वर्तमान में चल रहा है सिंहस्थ कुम्भ। जानकारी के लिए आपको बता दें की सिंहस्थ कुम्भ के दौरान इस नदी का आंचल पैसे से ही नहीं बल्कि सोना,चांदी और माणिक्य आदि से भर गया है, जिसके चलते इस नदी के नीचे करोड़ो की दौलत इक्कठा हो गई है, जो की यहां स्नान करने आये लोगों ने इस नदी में श्रद्धावश इसमें चढ़ाई है। यह सिंहस्थ कुम्भ 22 अप्रैल से शुरू हुआ था और अब तक यहां पर ढाई करोड़ से भी ज्यादा लोग आ चुके हैं।
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गोताखोरों का कहना है की शिप्रा नदी के अंदर से सोने और चांदी के सिक्के निकल रहें है और अंतिम शाही स्नान के बाद में यह मात्रा और भी अधिक हो जाएगी।
शिप्रा में गुप्त दान –
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शिप्रा नदी को प्राकृतिक रूप में एक देवी ही माना जाता है इसलिए यहां पर स्नान करने आये लोग इस नदी में स्नान के दौरान काफी महंगी और कीमती चीजें भी चढ़ाते हैं, इस प्रकार से ही बहुत से लोग इस नदी में स्नान के दौरान काफी कुछ गुप्तदान भी करते हैं। माना जाता है की गुप्त दान का बहुत महात्म्य होता है और इससे जीवन में सुख समृद्धि और घर में शांति आती है। जानकारी के लिए बता दें की अभी तक कुम्भ में 5 करोड़ से भी ज्यादा लोग स्नान कर चुके हैं। शाही स्नान के दिन भीड़ बहुत ज्यादा हो जाती है, माना जाता है की इस दिन स्नान करने से अधिक पुण्य मिलता है। गर्मी आने पर शिप्रा नदी का जल स्तर बहुत ज्यादा गिर जाता है और वह लगभग सूख जाती है परन्तु उस समय भी इस नदी के अंदर से काफी कुछ निकलता है, जो की काफी मुल्यवान होता है।