ट्रिपल तलाक – सामाजिक लोगों की “असामाजिक मानसिकता” का असल चेहरा

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वर्तमान समय में ट्रिपल तलाक के मामले को बहुत ज्यादा तरजीह मिल रही है। इसे जुड़ी कोई न कोई खबर रोज ही सामने आ जाती है, पर इसके पीछे की असल वजह आखिर क्या है? यह मुद्दा अन्य सभी से मामलों से ज्यादा चर्चा में रहा है तो इस प्रकार का सवाल मन में उठना सहज ही है। आज हम ट्रिपल तलाक के बारे में टीवी चैनलों के बड़े-बड़े स्टूडियो में बड़ी-बड़ी बहस होते देखते हैं, पर अंत में तथ्यहीन फैसला ही सामने आता है। जी हां, इस प्रकार के शो से टीवी चैनलों की TRP में कुछ उछाल जरूर आ जाता है।

खैर, आज के समय में मुस्लिम समाज का सबसे बड़ा मुद्दा ट्रिपल तलाक आखिर क्यों है? और इसका क्या प्रभाव मुस्लिम महिलाओं के जीवन पर पड़ता है, उसकी समीक्षा आज हम यहां हाल ही में आए कुछ ट्रिपल तलाक के मामलों को लेकर ही करेंगे, ताकि सभी लोगों के सामने सच्चाई को सही रूप से रखा जा सके।

आज के समय में जो ट्रिपल तलाक के मामले सामने आए हैं उनमे कई अजीबो-गरीब तरीके से तलाक देने की बात सामने आई है। यह भी एक प्रश्न खड़ा होता है कि आखिर तलाक देने के लिए अलग-अलग रास्ते अख्तियार करने की जरुरत क्या है? खैर, ऐसा ही एक मामला हाल ही में सामने आया हैं जिसमें एक महिला ने अपने पति पर “स्पीड पोस्ट” के जरिए पत्र लिख कर तलाक देने की बात कही है।

यह मामला उत्तरप्रदेश के कानपुर की एक महिला के द्वारा उजागर हुआ है। पीड़ित महिला का कहना है कि उसके पति ने पहले से एक शादी की हुई थी, जिसकी बात उससे छिपाई गई और निकाह के बाद में जब बात खुली तो महिला तथा पति के मध्य बात बढ़ी, जिसके कारण पति ने शादी के कुछ ही समय के बाद महिला को तलाक दे दिया। अब इस महिला ने उत्तरप्रदेश के सीएम आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अपनी परेशानी से अवगत कराया है।

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कुछ समय पूर्व मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के तत्वाधान में वाराणसी के हुकुलगंज में महिलाओं के लिए एक स्पेशल कचहरी का आयोजन किया गया था। जिसमें कई ऐसे मामले सामने आए थे, जिनमें पति ने किसी न किसी चीज को कारण बना कर बेबुनियादी बात पर पत्नी को तलाक दे दिया था। इसी कचहरी में एक महिला ने अपना किस्सा बताते हुए कहा कि उसके पति ने उसको सिर्फ इसलिए तलाक दे दिया, क्योंकि अब वह पहले से मोटी दिखाई पड़ने लगी थी। इससे पहले उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से तलाक का दंश झेल चुकी शगुफ्ता नामक महिला ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर ट्रिपल तलाक को बैन करने की मांग की थी। शगुफ्ता को तलाक का दंश सिर्फ इसलिए झेलना पड़ा क्योंकि उसने 2 बेटियों को जन्म दिया था और वर्तमान में 3 महीने की गर्भवती शगुफ्ता पर ससुराल वाले गर्भपात का दबाव डाल रहे थे, जिसको उसने नामंजूर कर दिया था परिणाम….. वही तलाक।

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हीना फातिमा और बहरैन नूर नाम की इन दो महिलाओं का निकाह हैदराबाद के एक ही घर के दो भाइयों के साथ हुआ था। फातिमा के वर्तमान में एक 6 महीने का बच्चा भी है, पर हाल ही में अमेरिका में रहने वाले इनके पतियों ने व्हाट्सऐप तथा ई मेल से इनको तलाक दे दिया और इसी के साथ ससुराल के लोगों ने भी इन महिलाओं को घर से निकाल दिया। आपको यह भी बता दें कि तलाक का यह मामला शादी के मात्र एक वर्ष बाद ही सामने आया है।

हाल ही में एक और ट्रिपल तलाक का अजीब मामला हैदराबाद से ही सामने आया है, जिसमें महिला के पति ने स्थानीय अखबार में विज्ञापन दे कर महिला को तलाक दे दिया। यह विज्ञापन पुरुष के वकील की ओर से दिया गया था। इस महिला के वर्तमान में 10 महीने का एक बच्चा भी है और महिला का पति सऊदी में जा चुका है। विज्ञापन के बाद से ससुराल वालों ने महिला के घर में आने पर भी बैन लगा दिया है।

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सवाल सीधा सा उठता है कि तलाक आखिर किस लिए है? क्या व्यक्ति अपने आप में इतना कमजोर हो गया कि वह अपनी पत्नी के साथ वफादार नहीं रह सकता या तलाक को महज अपने शारीरिक आनंद के परिवर्तन के लिए “यूज” किया जा रहा है।

मोबाइल से लेकर व्हाट्सऐप से तलाक देना, चिट्ठी से लेकर अखबार के विज्ञापन के माध्यम से तलाक देना क्या वाकई इस्लामिक शरई कानून के अंतर्गत आता है या नही? यदि नहीं, तो देश के विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार देने से लेकर आंदोलन करने की बात करने वाले मजहबी धुरंधर इन महिलाओं को इनका असल हक दिलाने के नाम पर आखिर क्यों मौन हो जाते हैं। बात फिर वहीं घूम कर आती है कि ट्रिपल तलाक का मजमून अन्य इस्लामिक और गैर इस्लामिक देशों की तरह भारत से भी हटना चाहिए या नहीं और यह निर्भर करता है आपके ऊपर और आपकी पत्नी के प्रति आपकी वफादारी के ऊपर।

हमारा आलेख पढ़कर अपनी राय कमेंट के द्वारा अवश्य हमें दें।

shrikant vishnoi
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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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