हमारे समाज में युवती शादी के बाद केवल अपने पति के साथ जीवन बिता सकती है, पर बहुपति प्रथा समाज में अपवाद मानी जाती है। एक से अधिक पति की प्रथा का उदाहरण केवल महाभारत में ही द्रौपदी के रूप में जानने को मिला है। केवल द्रौपदी ही थीं जिनका विवाह पांडवों यानी पांचों भाइयों से हुआ था। अगर कोई आपसे कहे कि ऐसी प्रथा आज भी जारी है और वो भी किसी अन्य देश में नहीं बल्कि हमारे ही देश में तो ये सुन कर आपको हैरानी जरूर होगी, लेकिन यह सच है।
Image Source: http://wallpaperology.com/
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में एक इलाका ऐसा भी है जहां लगभग हर घर में द्रौपदी है। यहां एक ही युवती सभी सगे भाइयों से शादी रचाती है। यहां के लोगों की दलील है कि यह परंपरा उनके यहां पांडवों के अज्ञातवास के समय से चली आ रही है। दरअसल अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां काफी समय बिताया था। इस इलाके में होने वाली शादियों में अजीब परंपरा देखने को मिलती है, जब किसी युवती की शादी होती है तो लड़की के परिजन वर पक्ष के सभी लड़कों के बारे में पूरी जानकारी हासिल करते हैं और विवाह में सभी भाई दूल्हा बनकर बारात लेकर आते हैं, पर दुल्हन किसी एक ही भाई के साथ जाती है और एक वक्त में एक के साथ ही रहती है। वो किसके साथ रहेगी ये निर्णय कोई इंसान नहीं बल्कि एक टोपी करती है।
अगर कोई भाई दुल्हन के साथ कमरे में रहेगा तो उस रूम के दरवाजे पर अपनी टोपी टांग देता है ये इशारा होता है बाकी के भाइयों के लिए। सभी भाई इस परंपरा का पूरा सम्मान करते हैं और दरवाजे पर टंगी टोपी देख दूसरा भाई कमरे में प्रवेश नहीं करता है। खासकर सर्दियों के मौसम में इस इलाके में बर्फबारी ज्यादा होती है। ऐसे में बाकी भाइयों के लिए समय बिताना थोड़ा कठिन होता है, क्योंकि बर्फबारी में सभी घर में ही रह कर समय बिताते हैं। यहां के पुरूष और महिलाएं एक दूसरे के साथ मौज-मस्ती में दिन-रात गुजारते हैं।
इस जिले में समाज का ढांचा मातृ प्रधान है। घर का मुखिया कोई पुरुष नहीं बल्कि उम्रदराज महिला होती है, जो सभी पतियों, संतानों की देखभाल करती है। परिवार की सबसे बड़ी स्त्री को गोयने कहा जाता है और उसके सबसे बड़े पति को गोर्तेस यानी घर का स्वामी कहा जाता है।