दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण….

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कहा जाता है, कि जब प्रकृति का असंतुलन बिगड़ता है तो प्रलय आने की संभवानाएं बढ़ जाती है। उस देश में बीमारी, महामारी और अनेक प्रकार की बीमारी अपना घर बना लेती है क्योकि जब वायुमंड़ल में हवा,पानी की शुद्धता नही होगी, तो लोगों का जीवनयापन कैसे सही ढंग से चल सकता है।

traffic pollutionImage Source: http://www.mining.com/

इसी प्रकार से आज हमारी दिल्ली भी इसी बढ़ते प्रदूषण की शिकार बनी हुई है। जिसकी समस्या से परेशान सुप्रिम कोर्ट के वकील और चीफ जस्टिस ने अपनी आप बीती बताते हुए कहते है कि उनके बच्चों को हमेशा ही जहरीली हवाओं के प्रदूषण से बचने के लिये मॉस्क का सहारा लेना पड़ता है। सुप्रिम कोर्ट के वकील  ने इस बात से अवगत कराया कि उनकी पत्नी और बेटी दमा की बीमारी से पीडित है जिन्हे दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण सांस लेने में हमेशा दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

Air pollutionImage Source: http://switchboard.nrdc.org/

आज दिल्ली में तेजी से फैल रहा प्रदूषण अब पूरी दिल्ली को अपने आगोश में ले रहा है। एक ओर जहां देश के कोने कोने में तेजी से बढ़ते औद्यौगिक केन्द्रों ने हर क्षेत्रों में अपनी जगह बना ली है। जिसके कारण इनके उपकरणों से निकलने वाली तेज आवाज, और इनसे निकलने वाली जहरीली गैस शहर के पूरे वातावरण को गंदा और जहरीला बना रही है। इसके अलावा दूसरा प्रमुख कारण हमारे शहरों पर बढ़ रहें वाहनों का प्रदूषण …अब तो हालात ये बन गये है कि भीड़ भरे चौराहे पर खड़े होकर सांस लेने में भी दिक्कत महसूस होने लगती है। वायुमंडल में फैलती जहरीली गैसों का रिसाव दमा, टीवी, और ह्रदय से पीड़ित रोगियो के लिये काफी हानिकारक है। आज भले ही सब कितने भी शिक्षित हो चुके है, पर दिल्ली में तेजी से फैल रहे प्रदूषण के 80% जिम्मेदार यहां के सभी शिक्षित वर्ग के लोग ही है।

अगर आप फैलते प्रदूषण से झुटकारा पाना चाहते है, तो सभी लोगो को जागरूक करना होगा। हमे सभी को मिलकर बताना होगा, कि स्वच्छ हवा, पानी हमारे जीवन का आधार है। इसके लिये हमे सभी को मिलकर काम करना होगा।

sound pollutionImage Source: http://im.rediff.com/

इसके लिये सबसे पहले जरूरी है कि हम ध्वनि प्रदूषण को उत्पन्न करने वाले उपकरणों पर रोक लगाये।  ट्रैफिक सिग्नल के अनुसार ही आप अपनी गाड़ी को बंद और चालू करें। और धुऐं से बचने के लिये अपनी गाड़ी के साइलेंसर की जांच समय-समय पर कराते रहे। अपने घर के आस-पास गंदगी को जमा ना होने दे। और उद्योगपतियों को अपने स्वार्थ को छोड़ते हुये हर नियमों का पालन करना चाहिये और वायु प्रदूषण से बचाव के लिये अपनी धुयें वाली चिमनी को काफी ऊपर करना चाहिये। सच बात तो यह है कि जब हमारी सोच साकारात्मक होगी, तो हम स्वयं ही अपनी धरती की सुरक्षा कर सकते है। हम धरती के प्राणी है जिसकी सुरक्षा स्वयं हमारे हाथ में है।

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