मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में बदलाव जरूरीः सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में बहुविवाह और मनमाने तलाक के नियम को लेकर महिला सुरक्षा के आभाव के विषय में इनकी वैधता पर सुनवाई करने का फैसला लिया है।

SUPREME-COURTImage Source: http://i.huffpost.com/

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस प्रकार के नियम महिलाओं के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। जस्टिस एआर दवे की पीठ ने कहा है कि बदलते समय के साथ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में बदलाव की जरूरत है। कोर्ट का कहना है कि यह नीतिगत मसला नहीं है बल्कि संविधान में वर्णित मुस्लिम महिलाओं के मूल अधिकारों और सुरक्षा का है। सुप्रीम कोर्ट के ही पूर्व के फैसलों का उदाहरण देते हुए जजों ने कहा है कि बहुविवाह की प्रथा सार्वजानिक नैतिकता के लिए घातक है। इसे भी सती प्रथा की तरह से प्रतिबंधित किया जा सकता है।

बेंच ने कहा, यह ध्यान देने वाली बात है कि संविधान में पूरी गारंटी दिए जाने के बाद भी मुस्लिम महिलाएं भेदभाव का शिकार हैं। मनमाने तलाक और पहली शादी जारी रहने के बावजूद पति के द्वारा दूसरा विवाह करने के मामलों में महिलाओं के हक में कोई नियम नहीं है। यह महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा को खारिज करने जैसा है।

गौरतलब है कि बेंच ने मुस्लिम पर्सनल बोर्ड में बदलाव को लेकर चीफ जस्टिस से एक बेंच गठित करने का आग्रह किया है।

shrikant vishnoi
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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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