चमत्कारी मंदिर – इस मंदिर को छू भी नहीं पाया था औरंगज़ेब, भाग खड़ी हुई थी सेना

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देवी दुर्गा को विश्व में शक्ति का केंद्र माना जाता है और उनके बहुत से ऐसे मंदिर भी हैं जो बहुत से चमत्कारों से जुड़े हुए हैं। इसी क्रम में आज हम आपको देवी दुर्गा के एक मंदिर और उसके चमत्कार के बारे में बता रहें हैं, वैसे तो देवी दुर्गा अलग-अलग नामों से दुनिया के बहुत से मंदिरों में स्थित है, पर आज हम जिस मंदिर के बारे में आपको जानकारी दे रहें हैं वह अपने ही देश में स्थित है और बहुत से श्रद्धालु आज भी इस मंदिर में माता के दर्शन करने आते हैं और उनका आशीष पाते हैं। आइए जानते हैं देवी दुर्गा के इस मंदिर के बारे में।

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देवी दुर्गा का यह मंदिर राजस्थान प्रदेश के “सीकर” नामक स्थान पर स्थित है। इस मंदिर को करीब 1000 साल पुराना बताया जाता है। वहीं कुछ इतिहासकार इस मंदिर को 8वीं शताब्दी में बना हुआ बताते हैं। यह मंदिर देवी दुर्गा की प्रतिरूप “माता जीण ” का मंदिर है और जीण माता मंदिर नाम से प्रसिद्ध है। तीन पहाड़ियों के संगम शिखर पर यह मंदिर स्थित है। इस मंदिर से एक लोककथा भी जुड़ी है, जो जीण माता के इस मंदिर के चमत्कार को बताती है। यह उस समय की बात है जब मुगल काल था और दिल्ली के तख्त पर औरंगज़ेब नामक क्रूर शहंशाह बैठा था। उस समय उसने इस मंदिर को नष्ट करने का फरमान जारी कर दिया और जब यह बात सीकर के लोगों को पता लगी तो वे बहुत दुखी हुए और जीण माता से प्रार्थना करने लगे।

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मंदिर को गिराने के लिए के लिए ठीक समय पर शहंशाह और उसकी की फौज जीण माता के पास पहुंच गई, पर जब उन्होंने आगे बढ़ने की कोशिश की तो अचानक मधुमक्खियों ने पूरी सेना पर हमला कर दिया, जिसके बाद में सभी सैनिक अपनी जान बचाकर किसी तरह मैदान से भाग खड़े हुए। इस दौरान खुद औरंगज़ेब की हालात भी बहुत ज्यादा खराब हो चुकी थी। इसके बाद में औरंगजे़ब ने अपनी गलती को माना और हर महीने इस मंदिर की जोत के लिए सवा मन तेल देने की घोषणा की, उसके बाद में उसकी हालत में सुधार होने लगा। इस चमत्कार से प्रभावित होकर औरंगजे़ब जब तक जीवित रहा, वह हर माह मंदिर को दिल्ली से तेल भेजता रहा। आज भी इस मंदिर में बड़ी संख्या में लोग देवी मां के दर्शन करने के लिए आते हैं।

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