हमारे देश के ऐतिहासिक पलों को याद कराता गणतंत्र दिवस पूरे जोश और उल्लास के साथ मनाया जाता है। जहां पर भारत की संस्कृतियों से जुड़ी हर कौमी एकता का प्रदर्शन हमें रंग बिरंगी झांकियों से देखने को मिलता है। आज हमारा देश 67वां गणतंत्र दिवस मना चुका है, पर आजादी से लेकर आज तक के समय में भारत ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे। फिर भी सभी कठिनाइयों से लड़ते हुए हमारा भारत आज हर ऊंचाइयों को छू चुका है। फिर चाहे यह तरक्की आर्थिक दृष्टि से हो या सैन्य शक्ति की दृष्टि से।
26 जनवरी के ही दिन 1950 में देश में मौजूदा संविधान को अपनाते हुए और कई परिवर्तन किए गए। जिसने हमें मजबूती दी और भारत की एक शक्तिशाली देश के रूप में पहचान बनी। आज यहां हम आपको बता रहे हैं कि राष्ट्रीय एकता की मिसाल बने भारत की संस्कृति को जानने के लिए गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर होने वाली परेड में कई देशों के प्रमुख हमारे मुख्य अतिथि बने हैं। इस साल गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि फ्रांस के राष्ट्रपति ओलांद रहे। आपको बताना चाहेंगे कि गणतंत्र दिवस के मौके पर कई देश ऐसे हैं जहां के प्रमुखों को कई बार भारत आने का मौका मिला है और कई देश ऐसे हैं जो एक ही बार इस समारोह में शामिल हुए हैं, लेकिन इससे पहले क्या आप जानते हैं कि राजपथ पर होने वाली परेड की शुरूआत कब हुई और अतिथि के रूप में आने वाली पहली हस्ती कौन थी।
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वहीं, आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 26 जनवरी के मौके पर साल 1950 से 1954 के बीच गणतंत्र दिवस का समारोह राजपथ पर ना होकर कभी इर्विन स्टेडियम, किंग्सवे, लाल किला तो कभी रामलीला मैदान में हुआ था। तब परेड की शुरूआत नहीं हुई थी।
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परेड को 1955 में राजपथ पर होने वाले कार्यक्रम से शुरू किया गया था। तब आपसी संबंधों को मजबूत बनाने के लिए अलग-अलग देशों से विदेशी प्रतिनिधियों को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया जाने लगा। जिसमें चीन, रूस, फांस से लेकर पाकिस्तान जैसे देश भी शामिल रहे। यहां आपको बता दें कि सबसे ज्यादा हमारे देश में चीन, भूटान, श्रीलंका सहित मॉरिशस, रूस, फ़्रांस व ब्रिटेन के प्रतिनिधियों ने अतिथि के रूप में आकर हमारे देश की शोभा बढ़ाई है। इसके अलावा सबसे ज्यादा बार फ़्रांस से आए अतिथि गणतंत्र दिवस समारोह का हिस्सा बने हैं।
मुख्य अतिथि-
-साल 1950 में भारतीय गणतंत्र दिवस की परेड को देखने के लिए इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो भारत के पहले मेहमान बने।
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-उसके बाद 1954 में भूटान के राजा जिग्मे डोरजी मुख्य अतिथि बनकर आए।
-1955 में पाकिस्तान के गवर्नर जनरल गुलाम मुहम्मद राजपथ पर परेड के पहले अतिथि बने जबकि 1958 में चीन के मार्शल ये यिआनयिंग और 1960 में रूस के राष्ट्रपति किल्मेंट वोरोशिलोव मुख्य अतिथि रहे।
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-1972 में मॉरिशस के सीवोसगूर रामगुलम।
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-1973 में जायरे के मोबुतु सेसे सेको।
-1974 में युगोस्लाविया के राष्ट्रपति राष्ट्रपति टीटो।
-1975 में जाम्बिया के केन्नेथ कौंडा मुख्य अतिथि बने।
-1976 में फ़्रांस के प्रतिनिधि।
-1977 में पोलैंड के प्रतिनिधि।
-1978 में आयरलैंड के प्रतिनिधि।
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-1979 में ऑस्ट्रेलिया के प्रतिनिधि।
-1980 में फ़्रांस के प्रतिनिधि।
-1981 में मैक्सिको के प्रतिनिधि।
-1982 में स्पेन के प्रतिनिधि।
-1983 में नाइजीरिया के प्रतिनिधि।
-1984 में भूटान के प्रतिनिधि।
-1985 में अर्जेंटीना के प्रतिनिधि।
-1986 में ग्रीस के प्रतिनिधि।
-1987 में पेरू के प्रतिनिधि।
-1988 में श्रीलंका के प्रतिनिधि।
-1989 में वियतनाम के प्रतिनिधि।
-1990 में मॉरिशस के प्रतिनिधि।
-1991 में मालदीव के प्रतिनिधि।
-1992 में पुर्तगाल के प्रतिनिधि।
-1993 में ब्रिटेन के प्रतिनिधि।
-1994 में सिंगापुर के प्रतिनिधि।
-1995 में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला गणतंत्र दिवस के समारोह के मुख्य अतिथि बने।
-1996 में ब्राज़ील, 1997 में त्रिनिदाद, 1998 में फ़्रांस, 1999 में नेपाल, 2000 में नाइजीरिया, 2001 में अल्जीरिया, 2002 में मॉरिशस,
2003 में ईरान, 2004 में ब्राज़ील, 2005 में भूटान, 2006 में सऊदी अरब के प्रतिनिधि मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए।
-2007 में रुस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन।
-2008 में फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सर्कोज़ी।
-2009 में कज़ाकिस्तान, 2010 में कोरिया व 2011 में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुसिलो बम्बांग युधोयोनो, 2012 में थाइलैंड की प्रधानमंत्री यिन्गलक शिनवात्रा मुख्य अतिथि बनीं। 2013 में भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक, 2014 में जापान के पीएम शिंजो आबे, 2015 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा व इस बार 2016 में भारत के 67वें गणतंत्र दिवस के मौके पर ऐतिहासिक राजपथ पर होने वाले समारोह में फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद मुख्य अतिथि रहे।