आखिर क्यों किन्नरों का अंतिम संस्कार सबसे छुपाकर होता है, जानिए यहां

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हमारे समाज में ही बीच एक अलग समाज भी बसता है जिनमे संबंध रखने वाले लोगों के रीति रिवाज तथा परम्पराएं हम सबसे बेहद अलग है और शायद यही कारण है एक ही समाज में रहने के बावजूद वह कभी आम समाज का हिस्सा नही बन पाए। इन्हें हमारे समाज में “थर्ड जेंडर” का दर्जा प्राप्त है। इनका जीवन किसी भी सामान्य व्यक्ति से अलग होता है। इन लोगों के बारे में बहुत बाते अब तक ज्ञात की जा चुकी हैं लेकिन वास्तव में आज तक जितनी भी बाते समाज के लोगों को किन्नरों के बारे में पता हैं, वे सभी बहुत कम हैं। आज हम आपको यह बताने जा रहें हैं कि यदि किसी किन्नर की मौत हो जाती है तो उसकी लाश का क्या होता है।

बहुत से लोगों के मन में यह प्रश्न भी उठता है कि किन्नरों का अंतिम संस्कार आखिर किस प्रकार से होता है। असल में किन्नरों की मृत्यु के बाद उनकी अंतिम यात्रा कभी दिखाई ही नहीं देती है इसलिए इस प्रकार का प्रश्न किसी के मन में भी उठना मुनासिव है। कई बार लोग इस समाज के लोगों के बारे में यह कहते पाए जाते हैं कि इनका अंतिम संस्कार गुप्त रूप से छुपाकर किया जाता है। अब सवाल उठता है कि इनका अंतिम संस्कार छुपाकर क्यों किया जाता है। आज यहां इसी प्रश्न का उत्तर दिया जा रहा है। आइये अब आपको विस्तार से बताते हैं इस बारे में।

यह मान्यता है गुप्त अंतिम संस्कार का कारण –

यह मान्यता है गुप्त अंतिम संस्कार का कारणImage source:

किन्नर समाज में गुप्त अंतिम संस्कार का कारण उनकी एक मान्यता है। इस मान्यता के अनुसार यदि कोई सामान्य व्यक्ति किसी किन्नर की अंतिम यात्रा को देख लेता है तो उसको भी अगला जन्म किन्नर के रूप में ही मिलता है। यही कारण है कि किन्नर लोग अपने किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी अंतिम यात्रा को छुपा कर देर रात्रि में ही निकालते हैं।

दफन करने से पहले करते हैं जूतों से पिटाई –

दफन करने से पहले करते हैं जूतों से पिटाईImage source:

आपको जानकर हैरानी होगी कि किन्नरों में शव को जलाया नहीं जाता है बल्कि उसको दफन किया जाता है। दफन करने से पहले किन्नर शव की जूतों ततः चप्पलों से पीटते हैं। मान्यता है कि इस प्रकार की पिटाई से किन्नर के इस जन्म के सभी पापों की क्षमा हो जाती है। इसके अलावा अपने साथी की मौत का किन्नर समाज के लोग दुःख नहीं मनाते हैं। इन लोगों का मानना होता है कि उसको मृत्यु से इस किन्नर जन्म से छुटकारा मिल गया। इस कारण ये लोग दुःखी न होकर अपने साथी की मौत पर खुश होते हैं। इस प्रकार से किन्नरों की बहुत सी अलग अलग मान्यताएं होती हैं तथा उनके अनुसार उनके अलग अलग रिवाज भी होते हैं।

shrikant vishnoi
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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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