जानिये सूर्यदेव को प्रसन्न करने का उपाय, जीवन में आएंगी प्रगति

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सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। मतलब यदि आप सूर्यदेव को प्रसन्न कर लेते हैं तो आप अपने जीवन के हर पक्ष में उन्नति कर सकते हैं। यदि आपकी कुंडली में सूर्य उच्च भाव पर केंद्रित है तो आपको अपने जीवन में सभी और उन्नति तथा प्रगति मिलेगी। आप जिस किसी काम में हाथ डालेंगे वहां सफलता जरूर पाएंगे। लेकिन यदि सूर्य निम्न भाव में स्थित है तो आपकी स्थिति दयनीय होगी तथा आप अपना जीवन बहुत मुश्किल से गुजारेंगे। आज के समय में बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपने जीवन से संतुष्ट नहीं हैं। ऐसे लोगों के लिए हम यहां सूर्यदेव को प्रसन्न करने का उपाय बता रहें हैं। यह उपाय कोई भी व्यक्ति कर सकता है तथा इस प्रभावशाली उपाय से आपको सूर्यदेव की कृपा जरूर प्राप्त होती है तो आइये जानते हैं इस उपाय के बारे में।

सूर्यदेव को प्रसन्न करने का उपाय –

सूर्यदेव को प्रसन्न करने का उपाय Image source:

सूर्यदेव को यदि आप सरल तरीके से प्रसन्न करना चाहते हैं तो आपको उन्हें जल अर्पित करना होगा। आपको बता दें कि सूर्यदेव को जल अर्पण करने वाला मानव बहुत प्रिय होता है। वे उस मानव से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं जो उनको जल अर्पित करता है। लेकिन जल अर्पण करने के अपने कुछ नियम भी होते हैं। यदि आप इन नियमों का पालन करते हुए सूर्यदेव को जल अर्पित करेंगे तो आपको निश्चित लाभ होगा, तो आइये जानते हैं जल अर्पण के इन नियमों के बारे में।

सूर्यदेव को जल अर्पित करने के नियम –

सूर्यदेव को जल अर्पित करने के नियमImage source:

सबसे पहली बात यह है कि सूर्यदेव को सिर्फ तांबे के लोटे से ही जल अर्पित करना चाहिए। यदि आप किसी अन्य धातु के लोटे से जल अर्पित करते हैं तो आपको लाभ मिलने के संभावना नहीं बन पाती। जब आप सूर्यदेव को जल अर्पित करते हैं तो आपका चेहरा उनकी ओर ही होना चाहिए यानि आपका मुंह पूर्व दिशा की ओर ही होना चाहिए। इस बात का भी ख्याल रखें कि ब्रह्म मुहूर्त में उगते हुए सूरज को भी आपको जल चढ़ाना चाहिए। यदि ब्रह्म मुहूर्त में संभव न हो तो सुबह 8 बजे तक आपको अवश्य जल चढ़ा देना चाहिए। जब आप जल अर्पित कर रहें हो तो नीचे गिरता जल आपके पैरों को स्पर्श नहीं करना चाहिए। इस बात का ध्यान अवश्य रखें। सूर्यदेव को जल अर्पण करते समय आप “ऊं आदित्याय नम:, ऊं भास्कराय नमे:” का जप भी श्रद्धा भाव से करें। जब आप जल को चढ़ा दें तो उस स्थान की तीन बार परिक्रमा करें। जिस स्थान पर खड़े होकर आपने जल चढ़ाया है। बाद में उस स्थान को प्रणाम करें। यदि आप इन कायदों का ध्यान रख कर सूर्यदेव को नियमित रूप से जल अर्पित करते हैं। तो धीरे धीरे आपका भाग्य खुलने लगता है तथा आप अपने जीवन में प्रगति करते चले जाते हैं।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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