दुर्भाग्य को दूर करती है सूर्य उपासना, जानें इसकी विधि

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सूर्य को पृथ्वी की आत्मा कहा जाता है। सूर्य देव की उपासना कर आप अपने जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं, साथ ही अपने जीवन में सुख समृद्धि पा सकते हैं। सूर्य देव की उपासना को वैसे तो आप प्रतिदिन कर सकते हैं लेकिन यदि आप इसका विशेष प्रभाव देखना चाहते हैं तो इसके लिए आप रविवार के दिन जरूर सूर्य उपासना करें। इसे करने पर आपका दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाता है। आपकी कुंडली के सभी ग्रह नक्षत्र सही हो जाते हैं। आपके जीवन में सुख समृद्धि व शांति आ जाती है। आपको आपके हर कार्य में सफलता मिलने लगती है। कुल मिलाकर आप अपने जीवन में पूर्ण हो जाते हैं तथा सम्पूर्ण जीवन का लाभ उठाते हैं। इस प्रकार से देखा जाएं तो सूर्य देव की उपासना प्रत्येक व्यक्ति को करनी चाहिए। रविवार के दिन आपको यह उपासना जरूर करनी चाहिए। आइये अब आपको बताते हैं रविवार को होने वाली इस उपासना के बारे में कुछ विशेष टिप्स।

इस प्रकार करें सूर्य उपासना की शुरुआत –

इस प्रकार करें सूर्य उपासना की शुरुआत Image source:

रविवार के दिन प्रातः काल उठकर आप स्नान करें तथा तांबे के लौटे से सूर्य देव को जल अर्पण करें। जल अर्पण करते समय गिरते जल की धारा में आप सूर्य देव का दर्शन करें। जल अर्पण करते समय मन ही मन गायत्री मन्त्र का पाठ करें। इसके बाद आप सूर्य देव को प्रणाम कर “आदित्य ह्रदयस्त्रोत” का पथ करें। इस प्रकार से यह छोटा सा क्रम आप प्रत्येक रविवार को अपनाएं। इस उपासना को करने से आपके जीवन की हर इच्छा धीरे धीरे पूरी होने लगती है। आध्यात्मिक लोगों का मानना है कि रविवार के दिन सूर्य को जल चढ़ाने से उतना ही लाभ मिलता है जितना की एक सप्ताह में प्रत्येक दिन जल अर्ध्य देने से होता है। अतः विशेषकर रविवार के दिन यह उपासना जरूर करें।

ध्यान रखें ये बातें –

ध्यान रखें ये बातेंImage source:

इस सूर्य उपासना में कुछ ध्यान रखने वाली बातें भी है। पहली बात यह है कि आप जिस लौटे से सूर्य देव को जल चढ़ाएंगे वह तांबे का होना चाहिए। दूसरी बार जल चढ़ाते समय जल की बूंदें आपके पैरों को स्पर्श नहीं करनी चाहिए। तीसरी बात यह कि यह उपासना आपको प्रातः काल उगते सूर्य के सामने ही करनी होती है। इसके अलावा जब आप आदित्य ह्रदयस्त्रोत का पाठ करें तो मन में उगते हुए सूर्य का ध्यान करते हुए ही करें। इस प्रकार की उपासना आपके दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल देती है तथा आपको अपने हर कार्य में सफलता मिलनी शुरू हो जाएगी।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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