स्वाइन फ्लू, चिकन गुनिया और डेंगू के वायरस के बाद अब जीका वायरस दुनिया में अपनी पकड़ बना रहा है। यह वायरस बच्चे और बूढ़े दोनों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। इस वायरस ने लैटिन अमेरिका के काफी देशों को प्रभावित किया है। हालांकि भारत अभी इस बीमारी की चपेट से दूर है, लेकिन इस तरह के वायरस काफी तेज़ी से पूरी दुनिया में फैलते हैं।
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जीका वायरस भी बाकी खतरनाक वायरस की ही तरह एडीस मच्छर के काटने से फैलता है। इस वायरस के खतरनाक परिणाम वर्ष 2007 में पैसिफ़िक रिजन, फ्रेंच पॉलिनेशिया में 2013 और अफ्रीका में वर्ष 2015 में देखने को मिले थे। अभी तक अमेरिका के 22 देश ऐसे हैं, जो जीका वायरस की चपेट में आ चुके हैं।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वायरस के बचने के लिए कुछ उपाए बताए हैं। इन बातों का ध्यान रख कर जीका वायरस के खतरे से बचा जा सकता है –
कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां
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एडीस मच्छर के काटने से यह वायरस फैलता है।
इस वायरस के शरीर में फैलने से हल्का बुख़ार, आंखों में जलन, त्वचा पर दाग-धब्बे जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।
खुद को मच्छरों से बचाकर इस वायरस से बचा जा सकता है।
जीका वायरस के लक्षण
इस वायरस के प्रभाव से शरीर पर चकत्ते पड़ने लगते हैं।
बुख़ार और आंखों में जलन होती है।
साथ ही मसल्स और जोड़ों का दर्द जैसी परेशानियां होती हैं।
ऐसे पता लगाएं इस वायरस के बारे में
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ब्लड टेस्ट और पीसीआर (पॉलिमीरेज चेन रिएक्शन) से इस वायरस के बारे में पता चलता है।
इस वायरस से ऐसे बचें
खुद को मच्छरों से बचाकर रखें।
लाइट कलर के कपड़े पहनें।
मच्छरदानी या मच्छर के काटने से बचने के लिए क्रीम का इस्तेमाल करें।
घर के आस-पास पानी ना इकठ्ठा होने दें ताकि मच्छर का लारवा ना पनप पाए।
घर के गमलों, कूलर, बाल्टी आदि में पानी ना जमा होने दें।
इस वायरस से लड़ने के लिए दवाई
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अभी तक इस वायरस से लड़ने के लिए किसी तरह की वैक्सीन या इलाज मौजूद नहीं है।
जीका वायरस शरीर में फैलने पर अन्य दवाइयों के साथ ज्यादा से ज्यादा पेय पदाथों का सेवन करना चाहिए।
साथ ही भरपूर आराम करना चाहिए।