जानिये इस किन्नर के बारे में, समाज में पेश की ऐसी मिसाल की सभी हैं हैरान

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ट्रेनों में पैसे मांगने वाले एक किन्नर ने समाज को एक ऐसा सन्देश दिया है जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जायेंगे। गुड़िया नामक इस किन्नर को आपने शायद ही देखा हो। वह बनारस के रामनगर के चौरहट की निवासी है। इन्होंने समाज के सामने एक नई मिसाल पेश की है। आपको बता दें कि वर्तमान समय में जहां बहुत से लोग बेटियों को दुनिया में आने से पहले ही गर्भ में समाप्त कर देते हैं, वहीं इस किन्नर ने खुद 2 लड़कियों को गोद लिया है और उनकी परवरिश कर रही है।

जीवन में शुरुआत से रहा संघर्ष –

किन्नरImage Source: 

गुड़िया जब पैदा हुई थी तो सारे घर वाले दुःखी हो गए थे क्योंकि वह एक सामान्य लड़की नहीं थी बल्कि एक किन्नर थी। जैसे तैसे घर वालों ने उसको पाला पर जब वह 16 वर्ष की हुई तो समाज के बढ़ते दवाब के कारण उसको घर वालों को छोड़ना ही पड़ा। इसके बाद गुड़िया करीब ढाई साल बाद अपने घर लौटी और अपने भाई की इजाजत से किन्नर मंडली के साथ लोगों के घर में बधाई गाने के लिए जाने लगी।

यहां भी जिंदगी शायद कड़ा इम्तेहान ले रही थी इसलिए एक दिन खाना बनाते समय गैस सिलेंडर फटने से गुड़िया के शरीर का काफी हिस्सा झुलस गया और बधाई गाने वाले काम को भी उसे छोड़ना पड़ा। अब जिंदगी को आगे बढ़ाने के लिए कुछ तो चाहिए ही था इसलिए गुड़िया के पांव खुद ब खुद ट्रेन की ओर चल पड़े ताकि सफर करने वाले लोगों से उसे कुछ पैसा मिल सके।

संघर्ष से सफलता की ओर –

किन्नरImage Source: 

ट्रेन में पैसा मांग कर गुड़िया ने कुछ पैसे जोड़े और एक पावरलूम लगाया। अब वह भीख मांगने का काम नहीं करती बल्कि चादर बुनकर अपना जीवन मेहनत और ईमानदारी से चलाती है। इसके बाद गुड़ियां ने एक और कदम उठाया। यह कदम समाज को एक संदेश देने का था। गुड़ियां ने 2 बच्चियों को गोद लिया। इनमें से एक बच्ची गुड़िया के खुद के भाई की है और एक अन्य बच्ची है जिसको उसने गोद लिया हुआ है।
गुड़िया एक बच्ची को पावरलूम की बारीकियां सीखा रही है ताकि वह अपने जीवन में खुद कुछ करने लायक बन सके और दूसरी लड़की पढ़ाई में अच्छी है इसलिए वह उसको डॉक्टर बनाने का सपना देख रही है। इस प्रकार गुड़िया नामक एक किन्नर को जिस समाज ने ठुकराया था आज वह समाज को अच्छाई का सन्देश दे रही है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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