अपने देश में वैसे तो भगवान शिव के बहुत से मंदिर हैं लेकिन आज जिस मंदिर के बारे में यहां बताया जा रहा है, उसको प्राचीन काल में सिर्फ एक ही पत्थर को काट कर बनाया गया था। इस मंदिर की स्थापत्य कला तथा इसकी कारीगरी को देख कर आज भी लोग हैरान रह जाते हैं। यह मंदिर महाराष्ट्र प्रदेश के औरंगाबाद से 29 किमी की दुरी पर स्थित है। एलोरा की गुफाओं में जो 34 अलग अलग मंदिर हैं, यह मंदिर भी उन्ही में से एक है। 8वीं शताब्दी में निर्मित हुआ यह मंदिर आज के बड़े बड़े कारीगरों को हैरत में डाल देता है। देखा जाए तो उस समय न तो आज जितने आधुनिक व बेहतर संसाधन थे और न ही आज के वैज्ञानिक उपकरण।
20 वर्ष में हु आ था निर्माण –
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आपको बता दें कि इस मंदिर का नाम ‘कैलाश मंदिर” है। इसको राष्ट्रकूट वंश के महाराजा कृष्णा प्रथम के समय में निर्मित किया गया था। भगवान शिव का प्रिय स्थान भी कैलाश ही माना जाता है। अतः इस मंदिर के निर्माण में इस बात का ध्यान रखा गया था कि इसकी आकर्ति कैलाश पर्वत की ही तरह दिखाई पड़ें। इस मंदिर के लिए 400000 लाख टन पत्थरों को काट कर इस मंदिर का निर्माण 20 वर्ष की अथक मेहनत के बाद किया गया था।
अद्भुद है वास्तुकला –
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कैलाश मंदिर का द्वार दो मंजिला है। इसके द्वार पर आप बहुत सुंदर तथा उत्तम नक्काशी देख सकते हैं। मंदिर का बाहरी आंगन U आकार का है तथा 3 विशाल स्तंभों से घिरा हुआ है। शिव मंदिर में द्वार के बाहर नंदी बैठा होता है। इसी बात को ध्यान में रख कर उस समय ही विशाल नंदी की प्रतिमा को इस मंदिर के द्वार के बाहर बनाया गया था, जो आज भी यहां मौजूद है। मंदिर के चारों और हाथियों की प्रतिमाएं स्थित है। कैलाश मंदिर के भीतर के हिस्से में खिड़की, दरवाजे तथा बाह्य कमरे हैं तथा गर्भगृह में विशाल शिवलिंग स्थित है। इस मंदिर के प्रवेश द्वार के दोनों और देवी देवताओं की प्रतिमाएं खुदी हुई है। इन देवी देवताओं को भगवान शिव का अनुयायी माना गया है। देखा जाएं तो आज से 12 शताब्दी पहले बनाये गए इस अद्भुद मंदिर को जिस प्रकार से बनाया गया है। वह उस समय के लोगों की आस्था को साफ दर्शाता है।