अपने देश में इंसानियत की बहुत सी मिसाले देखने को मिलती हैं। हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। इस दिल को छू जानें वाले मामले में इंसानियत की एक नई मिसाल पेश की गई है। आपको बता दें कि हालही में हुई इस घटना में एक मुस्लिम व्यक्ति ने अपना रोजा तोड़कर एक हिंदू व्यक्ति की जान को बचाया है। जैसा की आप जानते ही हैं कि वर्तमान में मुस्लिम धर्म का रमजान माह चल रहा है। इस माह में सभी लोग रोजा रख कर इबादत करते हैं। रोजा रखने के दौरान रोजेदार न पानी पीते हैं और न किसी अन्य वस्तु को ग्रहण करते हैं। इस अवस्था में एक मस्लिम व्यक्ति द्वारा अपने रोजे को तोड़कर एक हिंदू की जान को बचाना मानवीयता की पराकष्ठा कहा जा सकता है।
मुस्लिम व्यक्ति ने किया रोजा तोड़ ब्लड डोनेट –
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आपको बता दें कि यह मामला उत्तराखंड के देहरादून से सामने आया है। वर्तमान समय में 30 वर्षीय अजय बिजल्वाण की हालत काफी गंभीर है और वे मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती हैं। असल में अजय बिजल्वाण लीवर इंफेक्शन से ग्रस्त थे और इसी कारण उनकी प्लेटलेट्स तेजी से घट रही थीं। बीते शनिवार को अजय की प्लेटलेट्स 5 हजार से भी कम रह गई थीं। इस हालत में डाक्टरों ने अजय के पिता खीमानंद से ए पॉजिटिव ब्लड का इंतजाम करने को कहा। डाक्टरों ने कहा कि यदि ब्लड नहीं मिला तो मरीज की जान को खतरा हो सकता है।
काफी कोशिश के बाद जब ब्लड डोनर नहीं मिला तो अजय के परिवार के लोगों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लोगों से मदद मांगी। सोशल मीडिया की यह पोस्ट नेशनल एसोसिएशन फॉर पेरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान को उनके वाट्स एप पर मिली तो उन्होंने अजय के पिता को फोन किया। आरिफ ने अजय के पिता से कहा कि वे रोजा रखें हुए हैं लेकिन यदि डाक्टरों को कोई एतराज नहीं हैं तो वे ब्लड डोनेट करने को तैयार हैं।
आरिफ ने की इंसानियत की मिसाल कायम –
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चिकित्सकों ने आरिफ को बताया कि उनको ब्लड देने से पहले कुछ खाना ही पड़ेगा यानि रोजा तोडना पड़ेगा। इस बात को सुनकर आरिफ अस्पताल में तुरंत पहुंच गए। आरिफ के बाद चार अन्य लोग भी ब्लड डोनेट करने के लिए अस्पताल पहुचें। इस दौरान आरिफ ने कहा कि “यदि मेरे रोजा तोड़ने से किसी की जान बच सकती है तो मैं पहले मानव धर्म निभाउंगा। रोजा मैं बाद में भी रख सकता हूं लेकिन किसी की गई हुई जान वापिस नहीं आ सकती है।” आरिफ ने आगे कहा कि “रोजेदार खुद भले ही भूखे रहते हैं पर दूसरों की मदद अवश्य करते है। यदि जरूरतमंद लोगों की मदद रोजे में नहीं कि त अल्लाह कैसे खुश हो सकेंगे। यह मेरे लिए गर्व का समय है कि मैं किसी के काम आ सका।” इस प्रकार से एक मुस्लिम व्यक्ति ने अपना रोजा तोड़कर हिंदू व्यक्ति की जान बचाई जो अपने आप में एक मिसाल है।