जानिये कालीघाट शक्तिपीठ के बारे में, यहां आज भी होती हैं तांत्रिक साधनायें

0
734
Know about Kalighat Shaktipeeth where tantric sandhnaye are still practiced cover

आपने देश के 51 शक्तिपीठों के बारे में जरूर सुना होगा पर क्या आप इन्हीं में से एक शक्तिपीठ कोलकाता के कालीघाट शक्तिपीठ के बारे में जानते हैं। आज हम आपको इस कालीघाट शक्तिपीठ के बारे में यहां जानकारी दे रहें हैं। मान्यता है कि इस स्थान पर देवी सती की दाएं पैर की चार अंगुलियां गिरी थीं। यही कारण है कि इस स्थान को शक्तिपीठ की मान्यता दी गई है। यह शक्तिपीठ कोलकाता में स्थित है। देवी काली को समर्पित इस मंदिर को “काली घाट” के नाम से जाना जाता है।

देवी काली का यह मंदिर अपने आप में अनूठा है। इस मंदिर में देवी काली की प्रचंड प्रतिमा के दर्शन होते हैं। प्रतिमा क्रोधित भाव में स्थापित है और देवी काली के मुंह से लंबी जीभ निकली हुई है और उनकी आखों में भी प्रचंड क्रोध दिखाई पड़ता है। यह प्रतिमा काफी विशाल है और इसकी जीभ तथा हाथ सोने की धातु से निर्मित किये गए हैं।

देवी काली की यह प्रतिमा उनके नाम के अनुरूप काले रंग की ही है। सिंदूरिया रंग के टीके से सजी यह देवी काली की प्रतिमा काफी भयभीत करने वाली है। प्रतिमा के एक हाथ में फरसा भी है तथा आंखों में भी सिंदुरिया रंग लगा है। धार्मिक मान्यताओं के कारण यहां का मुख्य पुजारी जब इस देवी प्रतिमा को स्नान कराता है तो उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी जाती है।

आज भी होती हैं तांत्रिक साधनायें

Know about Kalighat Shaktipeeth where tantric sandhnaye are still practicedimage source:

माना जाता है कि यह कालीघाट शक्तिपीठ काफी प्राचीन है। इसका निर्माण 1809 के दौरान किया गया था तथा इसमें देवी काली की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा “कामदेव ब्रह्मचारी” नामक एक उच्च सन्यासी ने की थी। वर्तमान में यह शक्तिपीठ कोलकाता मेट्रो बन चुका है। इस मंदिर में शनिवार, मंगलवार तथा नवरात्र अष्टमी के दिन विशेष पूजन किया जाता है। इन दिनों में यहां भक्तों की काफी भीड़ रहती है। आप जानते ही होंगे कि देवी काली को तंत्र शास्त्र की 10 महाविद्याओं में सर्वप्रथम स्थान दिया गया है। इसके अलावा यह मंदिर भी एक शक्तिपीठ है।

अतः यह स्थान एक तंत्रोक्त स्थान के रूप में भी चर्चित है। इस स्थान पर किये गए जप-तप की सिद्धि कम समय में और कम परिश्रम से हो जाती है। यही कारण है कि यहां पर दूर दूर से तंत्र के मार्ग का अनुसरण करने वाले लोग आते हैं। इस मंदिर के पास “केवड़तला श्मशान घाट” भी स्थित है। एक समय में इस श्मशान को “शव साधना” का केंद्र भी माना जाता था। इस प्रकार यह कालीघाट शक्तिपीठ आज भी तंत्रोक्त साधकों का केंद्र बना हुआ है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here