रोहतक निर्भया केस में जज ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

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आप सभी को दिल्ली की निर्भया की तरह ही इंसानियत की सारी हदें तोड़ देने वाले रोहतक का निर्भया कांड जरूर याद होगा। जिसमें मानसिक रूप से कमजोर नेपाली मूल की युवती के साथ 9 दरिंदों ने बड़ी ही निर्ममता से हैवानियत की सारी हदें पार की थी। बाद में उसका शव अकबरपुर गांव के निकट खेत में पाया गया था। 10 महीने बाद उस निर्भया को इंसाफ मिल गया है। रोहतक गैंगरेप केस में नेपाली महिला के साथ सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में 8 में से 7 दोषियों को सजा-ए-मौत दी गई है। सजा सुनाते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सीमा सिंघल ने कहा कि “आखिर कितनी बार निर्भया की मौत होगी।” जज ने कहा, ”आज का फैसला समाज को यह संदेश देगा कि ऐसे अपराधों के साथ बहुत सख्ती से निपटा जाएगा और इन जघन्य अपराधों के गुनहगारों को उचित सजा दी जाएगी।’’ न्यायाधीश ने यह भी कहा कि पीड़िता के शरीर के घाव के निशान नहीं मिटाए जा सकते, लेकिन आत्मा पर भी चोट के निशान हमेशा बने रहेंगे।

जज ने कहा- दोषियों को न मिलेगी पेरोल, न ही कोई रियायत…
अदालत ने साफ कर दिया कि इन दोषियों को ना कोई रियायत, ना कोई पेरोल मिलेगी। मामले की सुनवाई 10 महीने में पूरी हुई है। जज ने 7 दोषियों को सजा-ए-मौत की सजा सुनाई है। इन लोगों को पिछले सप्ताह दोषी ठहराया गया था। दिलचस्प बात है कि इस मामले में भी सात दोषियों के अलावा एक नाबालिग आरोपी है, जिसके खिलाफ किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष सुनवाई चल रही है। वहीं कोर्ट ने इसके अलावा सभी अपराधियों, पदम, पवन, सुनील, सरवार, राजेश, सुनील और मनबीर पर 1.75 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

rohtak gangrape of mentally challenged woman case1Image Source: http://media2.intoday.in/

क्या था पूरा मामला…
रोहतक में एक मानसिक तौर से बीमार नेपाली युवती इसी साल एक फरवरी को लापता हो गई थी। उसे इलाज के लिए कुछ ही दिन पहले उसकी बड़ी बहन यहां लाई थी। घरवालों ने कुछ दिन बाद उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन तभी 4 फरवरी को उसकी लाश पास के ही गांव बहू अकबरपुर में मिली। 6 फरवरी को जब उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो पता चला कि युवती के साथ गैंगरेप हुआ है और आरोपियों ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दी।

महिला के शरीर में पत्थर और ब्लेड मिले थे…
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस महिला के गुप्तांग में कई चोटों की पुष्टि की गई थी। पीजीआईएमएस के चिकित्सकों ने कहा था कि महिला के शरीर के भीतर पत्थर और ब्लेड भी पाए गए थे। रोहतक की यह घटना मीडिया की सुखिर्यों का हिस्सा बनी थी और विपक्ष ने मनोहर लाल खट्टर सरकार पर इस घटना को लेकर निशाना साधा था।

rohtak gangrape of mentally challenged woman case2Image Source: http://www.hindustantimes.com/

इंडियन पीनल कोड की ये धाराएं लगीं…
पीड़ित पक्ष की पैरवी कर रहे वकील प्रदीप मलिक ने बताया कि ‘‘अदालत ने आरोपियों को धारा 302 के तहत मौत की सजा सुनाई है।’’ इसके अलावा इन सातों दोषियों को धारा 376-डी (सामूहिक बलात्कार) का भी दोषी ठहराया गया था और इसके लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। वकील ने कहा, ‘‘इन लोगों को धारा 366 (अपहरण) के तहत भी दोषी ठहराया गया और इसके लिए 10 साल की सजा मिली। सुबूत नष्ट करने को लेकर धारा 201 के तहत सात साल की सजा सुनाई गई। इसके अलावा सातों पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।’’ उनके मुताबिक अदालत ने कहा है कि ‘सभी सजाएं एकसाथ लागू होंगी।’

कैसे की गई पूरे मामले की जांच…
इस घटना की जांच के लिए हरियाणा के पुलिस महानिदेशक यशपाल सिंघल ने विशेष जांच दल का गठन किया था। जिसने मामले के नौ आरोपियों में से आठ को गिरफ्तार किया। रोहतक पुलिस की गिरफ्त में आने से पहले नौवें आरोपी ने नयी दिल्ली में आत्महत्या कर ली। अदालत ने राजेश उर्फ घुचरू, पवन, प्रमोद उर्फ पदम, सरवर उर्फ बिल्लू, मनबीर उर्फ मन्नी, सुनील उर्फ मादा तथा सुनील उर्फ शीला को मौत की सजा सुनाई। ये सभी गड्डी खेरी गांव के निवासी हैं। मामले का एक आरोपी नाबालिग है, जिसका मामला किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष चल रहा है। एक अन्य आरोपी सोमबीर भी इसी गांव का निवासी था। उसने कथित तौर पर खुदकुशी कर ली थी।

एसआईटी ने इसी साल मई में आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था, लेकिन इस मामले में कार्रवाई न करने के कारण चारों ओर से हरियाणा पुलिस को आलोचना झेलनी पड़ी थी। रोहतक में पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हुए जिसके बाद हरियाणा पुलिस हरकत में आई। कोर्ट ने इस पूरे मामले को रेयरेस्ट ऑफ द रेयर का अपराधा माना और सातों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई।

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