जेल की हवा खाना भला किसे अच्छा लगता है इसका नाम सुनते ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते है इस जगह पर जानें से हर किसी को डर लगता है। इससे बचने के लिए लोग ना जाने किन-किन जगहों का दरवाजा खटखटाते है, पर यदि कोई जेल से बचने की जगह अंदर ही जाने के लिए बड़ी से बड़ी सिफारिशें देने को तैयार हो जाए तो इसके लिए आप क्या केहेंगे। जी, हां हम बात कर रहें है होशंगाबाद पर बने एक ऐसे जेल की जहां पर जाने के लिए लोग बड़े-बड़े नेताओं से सिफारिशें लगाते है। जबकि इस जेल की क्षमता सिर्फ 25 कैदियों तक की है और जेल के अंदर जाने के लिए आवेदन आते हैं 200 से ज्यादा।
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दरअसल इस जेल के अंदर जानें का सबसे बड़ा कारण है इस खुली जेल में व्यवसाय और नौकरी करने की सबसे अच्छी सुविधा है। जिसे पाने के लिए यहां पर लोग आना चाहते है। कहा तो यहां तक जाता है कि कुछ कैदी तो यहां के व्यवसाय से लखपति भी बन चुके है। मध्य प्रदेश में इस प्रकार की जेल सिर्फ होशंगाबाद में ही है, वहीं दूसरी जल्द ही साल के अंत तक सतना में शुरू होने वाली है। इस खुली जेल के अंदर जाने के लिए किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं किया जाता है। चाहे कोई भी कितनी बड़ी सिफारिशें क्यों ना लगवा लें। इसके अंदर सिर्फ वही कैदी जाते है जो हालातों के चलते अपराध के दलदल में फंस गए हों। साथ ही उन्हें यह भी विश्वास दिलाना होता है कि वह बाहर जाकर कोई अपराध नहीं करेंगे। ऐसे कैदियों का चयन जेल मुख्यालय की कमेटी करती है।
इस जेल में उन्ही कैदियों के रखा जाता हैं, जिनका परिवार हो और सजा की समाप्ति के कुछ साल ही बचे हों। इस जेल का सबसे अच्छा उदाहरण उम्र कैद की सजा काटकर रिहा हुए विदिशा के मनोज झा को देखने से मिलता है। जिसे हत्या करने के बाद अजीवन कारावास की सजा दी गई थी। जब वो इस जेल में ये थें तो उन्हें काम करने के दौरान पुरानी जेसीबी चलाने को दी थी। इसने अपनी मेहनत और लगन से बेहतर काम किया और जेल में ही रहकर अपनी मेहनत से जेसीबी खरीद ली और जेल में रहते हुए वह हर महिने 40 से 50हजार रूपये तक कमा रहा था। 15 अगस्त 2016 को मनोज हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा को काटकर रिहा हुआ है।