आपने वैसे तो आत्महत्या की कई घटनाएं सुनी ही होंगी, पर अपने देश का यह स्थान आत्महत्या के लिए ही निर्मित हुआ था। जी हां, आज हम आपको देश के उस स्थान के बारे में बता रहें हैं जहां लोग मरने के लिए ही जाते थे। इस स्थान को कामकूप तालाब कहा जाता है। आपको बता दें कि प्रयाग संगम के पास में ही शहंशाह अकबर द्वारा एक किला निर्मित कराया गया था। इस किले के अंदर पातालपुरी मंदिर स्थित है और इस मंदिर के पास ही अक्षय वट वृक्ष भी है। वट वृक्ष के इस पेड़ के पास यह कामकूप नामक तालाब है।
मंदिर के पास स्थित है मौत का तालाब
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पातालपुरी मंदिर के पुजारी अरविंद नाथ कहते हैं कि “वट वृक्ष के पास में ही कामकूप तालाब स्थित था, जो लोग मोक्ष की कामना रखते थे वह वट वृक्ष पर चढ़ कर इस तालाब में छलांग लगा देते थे और मृत्यु को गले लगा लेते थे। लंबे समय तक चले इस कार्य की वजह से यह एक परंपरा सी बन चुकी थी। यह भी मान्यता थी कि वट वृक्ष के नीचे मांगी गई इच्छा पूरी होती थी। यही कारण था कि बहुत लोग यहां आते थे।” आज माघ माह में प्रयाग संगम पर जो लोग त्रिवेणी में स्नान करने के लिए आते हैं वे स्नान करने के बाद अक्षय वट का दर्शन जरूर करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से ही गंगा स्नान का पूरा पुण्य मिलता है।
अकबर ने हिन्दुओं पर लगाया था बैन
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चीनी यात्री ह्वेनसांग 644 ईसा पूर्व में इस स्थान पर आए थे। कामकूप तालाब में लोगों के कंकाल देख कर वह काफी दुखी हुए थे। उसने अपनी किताब में इस बात का जिक्र भी किया हुआ है। अकबर को जब इस बात का पता लगा तो उसने इस स्थान पर किला बनवा दिया था और वट वृक्ष तथा कामकूप तालाब को भी किले के अंदर ले लिया ताकि कोई हिंदू वहां तक न पहुंच पाए। वट वृक्ष किले के अंदर में ही है। वर्तमान में किले का उपयोग देश की सेना कर रही है।
