इंदिरा गांधी अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए विश्व राजनीति के इतिहास में जानी जाती हैं और इंदिरा गांधी को लौह महिला के नाम से संबोधित किया जाता है। वे देश की तीसरी और भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री थीं।
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गूंगी गुड़िया के नाम से बुलाई जाने वाली इस इंदिरा ने देश का परचम दुनिया भर में उस समय लहराया जब अस्थिरता का दौर था। पाकिस्तान में बांग्लादेशियों पर हो रहे अत्याचार का इंदिरा गांधी ने मुंहतोड़ जवाब दिया था। दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेशी का उदय इंदिरा गांधी की देन थी। कूटनीतिज्ञ तौर पर भी दुनिया भर में इंदिरा गांधी की अलग पहचान थी। भारत को परमाणु संपन्न राष्ट्र बनाने की आधारशिला इंदिरा गांधी ने ही रखी थी। राजस्थान के पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था। वो जितनी कुशल राजनीतिज्ञ थीं उतनी ही कुशल एक मां भी थी।
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एक सख्त प्रशासक के तौर पर उन्होंने अपनी एक अलग छवि बनाई थी। इसलिए आज भी उन्हें देश के सबसे मजबूत प्रधानमंत्रियों में से एक माना जाता है।
कहा जाए तो आज देश में जितने भी प्रधानमंत्री हुए हैं उन सभी की अनेक विशेषताएं हो सकती हैं, लेकिन इंदिरा गांधी के रूप में जो प्रधानमंत्री भारत भूमि को प्राप्त हुआ वैसा प्रधानमंत्री अभी तक दूसरा नहीं हुआ है, क्योंकि एक प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने विभिन्न चुनौतियों का मुकाबला करने में सफल भूमिका निभाई है। चाहे वो युद्ध हो, विपक्ष की गलतियां हों, कूटनीति का अंतर्राष्ट्रीय मैदान हो अथवा देश की कोई समस्या हो इंदिरा गांधी ने अक्सर स्वयं को सफल साबित किया।
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इसी प्रकार का एक साहसिक कदम इंदिरा गांधी ने तब उठाया था जब पश्चिमी पाकिस्तान में रहने वाले बंगाली समुदाय पर पाकिस्तानी सेना का जुल्म बढ़ता जा रहा था। यहां तक कि वहां पर रहने वाले हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार थमने का नाम ही नहीं ले रहा था। तब 27 मार्च 1971 को इंदिरा गांधी ने एक अहम फैसला लिया कि वह ईस्ट पाकिस्तान में चल रहे संघर्ष को खत्म करके रहेंगी और फिर भारत-पाक के बीच छिड़ गई जंग। इस युद्ध में पाक के 90,368 सैनिकों और नागरिकों ने सरेंडर किया था।
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देखा जाए तो कोई भी देश अपने विपक्षी की सराहना कभी नहीं करता, पर लोकसभा में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध पर चल रही चर्चा के दौरान अटल जी ने सदन में कहा था कि जिस तरह से इंदिरा ने इस लड़ाई में अपनी भूमिका अदा की है वह वाकई काबिल-ए-तारीफ है। उन्होंने कहा भी था कि हमें बहस को छोड़कर इंदिरा जी की भूमिका पर बात करनी चाहिए जो किसी दुर्गा से कम नहीं थी। उन्होंने उस समय यह बात कह कर राजनीति की एक नई मिसाल कायम की थी।