हाल ही में हुए पेरिस जलवायु शिखर सम्मेलन के बारे में तो आप जानते ही होंगे। इसमें धरती के बढ़ते तापमान पर अंकुश लगाने के लिए ऐतिहासिक समझौते को करीब 200 देशों ने स्वीकार किया है। इस समझौते में क्लाइमेट जस्टिस की बात है और इसमें पर्यावरण की हिफाजत की ज्यादा जिम्मेदारी बड़े ताकतवर देशों पर डाली गई है। यह समझौता ऐतिहासिक टर्निंग प्वाइंट माना जा रहा है। इस समझौते के अनुसार, वैश्विक तापमान की सीमा दो डिग्री सेल्सियस से ‘काफी कम’ रखने और इस समस्या से निपटने में विकासशील देशों की मदद के लिए वर्ष 2020 से सौ अरब डॉलर प्रति वर्ष की प्रतिबद्धता का प्रस्ताव है। भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर इस समिट का अहम हिस्सा थे। वर्तमान में 2041 के नाम से चल रही एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था भी पर्यावरण के लिए काफी लम्बे अंतराल से प्रतिबद्ध है। यह संस्था मूल अंटार्कटिका पर कार्य करने और उसके मूल प्राकृतिक वातावरण को स्थाई रखने के लिए विश्व स्तर पर कार्य करती है।
यह संस्था “अंतर्राष्ट्रीय अंटार्कटिक अभियान” नामक कार्यक्रम प्रतिवर्ष अंटार्कटिका में ही करती है, जिसमें बहुत से अलग-अलग देशों के बुद्धिजीवी और बिजनेसमैन लोगों को चुना जाता है। इस बार भी “अंतर्राष्ट्रीय अंटार्कटिक अभियान 2016” की शुरूआत हो रही है जिसमें अपने यहां से पर्यावरण के जानकार रचित बंगा को चुना गया है।
क्या है 2041 –
2041 एक पर्यावरण पर शोध करने वाली और उसके स्थाईत्व को बनाये रखने में मदद करने वाली संस्था है। यह संस्था रॉबर्ट स्वान द्वारा स्थापित की गई है जो कि जाने माने पर्यावरण नेता और संस्था के अध्यक्ष हैं। वह इतिहास के उत्तर और दक्षिण ध्रुव दोनों पर जाने के वाले पहले ऐतिहासिक व्यक्ति हैं। स्वान ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए रीसाइक्लिंग, अक्षय ऊर्जा और स्थिरता को बढ़ावा देने के द्वारा अंटार्कटिका के संरक्षण के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। अंटार्कटिक यात्रा के इस मिशन पर 550 से अधिक युवाओं, शिक्षकों और कंपनियों के प्रमुखों को अब तक लिया गया है।
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क्या है मिशन-
2041 संस्था के शुरूआती दौर की बात करें तो शुरूआत में 18 देशों से 42 लोगों को कार्यक्रम में शामिल किया गया था। यह कार्यक्रम 2003 में हुआ था, जिसमें अंटार्कटिका ने पहले कॉर्पोरेट अभियान का नेतृत्व किया। तब से दुनिया भर से 400 से अधिक कंपनियों के नेताओं, शिक्षकों, छात्रों और उद्यमियों ने 2041 टीम के साथ अंटार्कटिका का अनुभव किया है। अंतर्राष्ट्रीय अंटार्कटिक अभियान 2016 इस नाजुक क्षेत्र का दौरा करने के लिए दुनिया भर से से चयनित लोगों की एक टीम ले जाएगा। इस अभियान का उद्देश्य दुनिया भर में शिक्षा, पर्यावरण और स्थिरता को बढ़ावा देना है। इस कार्यक्रम की अधिक जानकारी आप : http://2041.com पर देख सकते हैं।
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इस कार्यक्रम में युवा, शिक्षक और विभिन्न कंपनियों के प्रमुख लोग बहुत से देशों से आते हैं जो कि पर्यावरण के स्थायित्व को बनाये रखने के लिए अंर्टाटिका पर जाकर वास्तविक वर्तमान स्थिति का अवलोकन करते हैं। साथ ही आये परिवर्तनों का वैचारिक समाधान करते हैं। चूंकि यह प्रोग्राम ग्लोबल स्तर पर होता है इसलिए बहुत से लोगों को कई कंपनियां स्पॉन्सर भी करती हैं, ताकि वैश्विक स्तर पर उनकी कंपनी को भी सभी लोग जान सकें।
देखा जाये तो यह एक बहुत ही दूरदर्शी और बहुआयामी कार्यक्रम है जो पर्यावरण के लिए विश्व स्तर पर अपना कार्य कर रहा है। इस बार भारत से 2041 संस्था के “अंतर्राष्ट्रीय अंटार्कटिक अभियान” में रचित बंगा का चयन हुआ है। यदि आप भी पर्यावरण के संदर्भ में जागरूक हैं, इस दिशा में कुछ चाहते हैं और यदि आप किसी कंपनी से जुड़े हैं तो आप अपनी कंपनी को वैश्विक स्तर पर भी प्रेजेंट कर सकते हैं। इसके लिए आप रचित बंगा से rachit414@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं।
देखा जाये तो पेड़ों के कटने के कारण कार्बन डाई ऑक्साइड का संतुलन बिगड़ने से ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा मिला है। वायुमण्डल में मौजूद कार्बन डाई ऑक्साइड वातावरण के तापमान को भी नियंत्रित करती है। पेड़ों के कटने के कारण वायुमण्डल में कार्बन डाई ऑक्साइड की निरंतर बढ़ती मात्रा वातावरण के तापमान को दिनों-दिन बढ़ाती जा रही है। यह अप्रत्यक्ष रूप से वर्षा, सर्दी, गर्मी के चक्र को भी प्रभावित कर रही है। यही स्थिति रही तो निकट भविष्य में ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का जलस्तर इस हद तक बढ़ जायेगा कि समुद्र के किनारे बसे समूचे शहरों को वह लील जाएगा।