देश के फोन तो बेशक स्मार्ट हो गए हैं, लेकिन लोगों को स्मार्ट बनाना शायद अभी बाकी है। आज हम बात कर रहे हैं सेल्फी के रोग की। एक ऐसा सेल्फी रोग, जो दिनों दिन लोगों पर इस कदर हावी होता जा रहा है कि लोग सेल्फी के चक्कर में अपनी जिंदगी की कीमत तक को भूल गए हैं। हालांकि हमारा देश भारत एक ऐसा देश है जहां के प्रधानमंत्री में भी सेल्फी को लेकर जबरदस्त क्रेज देखने को मिलता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सेल्फी लेना और शेयर करना काफी पसंद है। वहीं, हमें इस बात को समझना चाहिए कि सेल्फी लेना और सेल्फी लेने के चक्कर में अपनी जान गंवा बैठना दोनों अलग-अलग चीजें हैं।
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बता दें कि हमारे देश के लोगों में जितना सेल्फी प्रेम है, वहीं सेल्फी सुरक्षा के मामले में भारत दुनिया के बाकी देशों से काफी पीछे है। पिछले साल देश भर में सेल्फी लेने के दौरान करीब 27 मौतों की खबर सामने आई हैं। आप सबको जानकर हौरानी होगी कि इन 27 में से आधी मौतें सिर्फ भारत में हुई हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015 में भारत में कई लोगों ने खतरनाक तरीके से सेल्फी लेने की कोशिश की। जिसकी वजह से उन लोगों की मौत हुई।
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जिसमें से कुछ मामले इस प्रकार हैं-
पिछले साल एक मामले में दौड़ती ट्रेन के सामने सेल्फी लेने के चक्कर में 3 छात्रों की मौत हुई थी। वहीं, दूसरे मामले में एक नाव पर खड़े होकर सेल्फी लेने के चक्कर में 7 युवकों की जान गई। इतना ही नहीं एक जापानी विदेशी टूरिस्ट की तो ताजमहल पर सीढ़ियों पर सेल्फी लेने के दौरान गिरने से मौत हो गई थी। वहीं, एक इंजीनियरिंग छात्र की 60 फीट ऊंची पहाड़ी पर चढ़कर सेल्फी लेने के चक्कर में जान चली गई थी।
आपको जानकर हैरानी होगी कि देश के सबसे बड़े शहर माया नगरी मुंबई में इस सप्ताह मुंबई पुलिस ने करीब एक दर्जन से भी ज्यादा ‘नो सेल्फी जोन्स’ की पहचान की है। मुंबई पुलिस ने यह कदम बांद्रा इलाके में शनिवार को अरब सागर के किनारे सेल्फी लेने के दौरान तीन लड़कियों के बह जाने की घटना के बाद उठाया है। बता दें कि इस मामले में लड़कियों को बचाने के लिए कूदे एक लड़के की भी मौत हो गई है।
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मुंबई पुलिस का कहना है कि पर्यटक स्थलों पर सेल्फी के रिस्क को कम करने के लिए लाइफ गार्डस की तैनाती और चेतावनी बोर्ड लगाए जाएंगे। जैसा कि आपको पता होगा कि सेल्फी रिस्क को देखते हुए ही पिछले साल कुंभ मेले में भी कुछ जगहों पर नो सेल्फी जोन्स बनाए गए थे।