देश के इस स्थान पर भगवान की नहीं बल्कि सांप, मोर व शेर की होती है पूजा

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वैसे तो सभी स्थानों पर देवी देवताओं के ही मंदिर हैं, पर अपने देश में एक ऐसा स्थान भी है जहां के लोग देवी देवताओं के स्थान पर सांप, मोर तथा शेर को पूजते हैं। आज हम आपको इस स्थान के बारे में ही बताने जा रहें हैं। देखा जाएं तो हमारा देश विभिन्नताओं का देश है। यहां के हर कोने में आपको एक अलग ही संस्कृति देखने को मिलती है। यही कारण है कि हमारे देश को विभिन्नताओं का देश कहा जाता है। देश में आध्यात्म तथा पूजा पाठ का दौर प्राचीन काल से चलता आया है लेकिन आज जिस स्थान के बारे में आपको बताया जा रहा है।

वहां पर लोग भगवान के स्थान पर शेर, मोर तथा सांप जैसे जीव जंतुओं को पूजते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह स्थान भारत के गुजरात राज्य में आता है। गुजरात राज्य में अधिकतर लोग व्यापारी हैं तथा यहां के अधिकतर लोग पढ़े लिखें हैं, लेकिन फिर भी यहां के एक भाग में ऐसा कार्य होता है, इसे जानकर हैरानी होती है। आइये अब आपको विस्तार से बताते हैं कि गुजरात में किस स्थान पर ऐसा होता है तथा क्यों लोग भगवान को नहीं मानते हैं।

गुजरात के डांग जिले में होता है ऐसा –

गुजरात के डांग जिले में होता है ऐसाImage source:

आपको बता दें कि गुजरात के डांग जिले में बहुत से लोग भगवान के स्थान पर सांप, मोर तथा शेर जैसे जीव जंतुओं को पूजते हैं। डांग नामक यह जिला गुजरात का ऐसा जिला है। जहां की लगभग 72 प्रतिशत जनसंख्या आदिवासी लोगों की है। डांग जिले में कई छोटे गांव भी हैं। इनमें जीव जंतुओं की प्रतिमा का पूजन किया जाता है। जब आप इन गावों में प्रवेश करते हैं तो आपको गांव के बाहरी मुहाने पर ही सांप, मोर तथा शेर आदि की प्रतिमाएं बनी मिलेंगी। यहां के निवासी इन्हीं प्रतिमाओं का पूजन करते हैं।

इन जीव जंतुओं का पूजन करना प्राचीन समय से चला आ रहा है। अब यह एक प्रथा का रूप ले चुका है। इन गावों के निवासी कहते हैं कि हम लोग ईश्वर को मानते हैं लेकिन प्रकृति के सभी जीवों का सम्मान भी करते हैं। अतः हम लोग इनका पूजन करते हैं। डांग जिले का बहुत सा भाग पर्वतीय है। यहां के लोग अधिकतर कृषक हैं और रानी तथा धान की खेती का कार्य करते हैं। कुल मिलाकर इन गावों के आदिवासी लोग प्रकृति के छोटे बड़े जीव का सम्मान करते हैं इसलिए ही वे उनका पूजन करते हैं।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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