दशहरा या विजयदशमी का पर्व यूं तो रावण के वध के साथ ही पूरा माना जाता है, पर अपने देश में ऐसे भी बहुत से स्थान विशेष हैं जहां पर रावण का दहन नहीं किया जाता है बल्कि उसकी उपासना की जाती है। असल में इन जगहों पर रहने वाले लोगों का मानना है कि रावण का उनके जन्मस्थान से संबंध है। कुछ लोग तो रावण को अपना रिश्तेदार तक मानते हैं, इसीलिए ये लोग विजयदशमी पर्व पर रावण का दहन भी नहीं करते हैं।
कुछ स्थानों पर लोगों ने रावण की मूर्ति और मंदिर तक बनाये हुए हैं क्योंकि ये लोग रावण को एक ब्राह्मण और विद्वान व्यक्ति के रूप में देखते हैं। आइये जानते है कुछ ऐसे स्थानों के बारे में जहां से रावण का रिश्ता जुड़े होने की मान्यताएं हैं।
रावण का ननिहाल –
रावण के ननिहाल की बात करें तो गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) से करीब 15 किलीमीटर दूर एक गांव है “विसरख”। यहां के लोगों की मान्यता है कि यह गांव ही रावण का ननिहाल है। इस गांव का नाम पहले विश्वेशरा था जो कि रावण के पिता के नाम ऋषि “बिश्र्वा” के नाम पर पड़ा था। कालान्तर में इसका नाम अब विसरख है।
Image Source:
रावण का ससुराल –
यदि आपको रावण के सुसराल के बारे में जानना हो तो आपको अपना रुख राजस्थान की ओर करना होगा। राजस्थान के जोधपुर शहर में आपको रावण का मंदिर भी देखने को मिलेगा। यहां पर गोधा, श्रीमाली और दवे समाज के लोग जोधपुर को रावण की सुसराल मानते हैं। कुछ लोग रावण के मंदिर में पूजन अर्चन भी करते हैं। मान्यता है कि रावण वध के बाद उसके कुछ वंशज यहां आकर बस गए थे।
Image Source:
रावण का कुण्ड –
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में बैजनाथ नाम का एक कस्बा है। मान्यता है कि रावण ने यहां तपस्या कर के शिव को प्रसन्न किया था और अपने सिरों को काट कर हवन कुण्ड में चढ़ाया था। यहां पर खुदाई के दौरान एक हवन कुण्ड भी निकला है। लोगों का मानना है कि यह रावण का ही हवन कुण्ड है।
Image Source:
रावण का उपासना स्थल-
रावण के उपासना स्थल की बात करें तो आंध्रा प्रदेश के काकिनाड नामक स्थान की चर्चा करनी ही होगी। असल में माना जाता है कि इस जगह का उपयोग रावण ने अपने उपासना स्थल के रूप में किया था। यहां पर रावण का स्थापित किया हुआ एक शिवलिंग भी है। यहां रहने वाले मछुवारे शिव और रावण दोनों की उपासना करते हैं।