शास्त्रों में शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने का बड़ा महत्त्व बताया गया है तो चलिए आज हम आपको बताते है कि किस प्रकार से इस खीर को बना सकते है और कैसे इसका भोग लगाना चाहिए। हमारे देश में प्राचीन काल से ही शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाने का रिवाज चला रहा है। दरअसल इसके पीछे एक गहरा वैज्ञानिक तथ्य छिपा है जो हमारे शरीर के स्वास्थ्य के साथ जुड़ा है।
धार्मिक महत्व:-
शरद पूर्णिमा को रस पूर्णिमा तथा कोजागिरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। आपको बता दें कि शरद पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा अपनी सभी कलाओं से परिपूर्ण रहता है इसलिए उससे कुछ दिव्य गुण प्रवाहित होते हैं जो हमारे जीवन में स्वास्थ्य तथा ख़ुशी लाते हैं। ऐसे में इस दिन खीर बनाकर उसे खुले आसमान के नीचे रखा जाता है। शरद पूर्णिमा को अश्विन मास की पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। इस वर्ष शरद पूर्णिमा 5 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
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शरद पूर्णिमा की रात को कई वैद जीवन को बचाने वाली औषधियों का निर्माण भी करते हैं। इस अवसर पर सामान्य लोग अपने घर में खीर बनाते हैं। मान्यता है कि यह खीर कई रोगों को ख़त्म करती है।
पूर्णिमा के दिन यूँ करें पूजा:-
शरद पूर्णिमा की रात्रि को खीर को बनाकर खुले आकाश में इसलिए ही रखा जाता है ताकि चन्द्रमा का प्रकाश उस पर पड़े। ऐसा होने से बनी हुई खीर एक औषधि बन जाती है जिसका सेवन करने से मानव के कई रोग ख़त्म हो जाते हैं।
खीर के सेवन से पहले करें यह कार्य:-
इस प्रकार आप इस दिन खीर बना कर रात्रि में उसे चन्द्रमा की रौशनी में रखने के बाद अगली सुबह स्नान करने के बाद खीर का पहला भोग भगवान लगाएं तथा 3 ब्राह्मणो और कन्याओं को इस खीर का कुछ हिस्सा खिलाएं। आखिर में आप इस खीर का सेवन करें इस प्रकार से निर्मित खीर से आपके बहुत से रोग दूर होंगे।