आपके चेहरे के आकर्षण और आंखों के तेज को बढ़ा देता है यह उपाय

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हर व्यक्ति चाहता है कि वह सभी लोगों में सबसे अलग दिखें, उसके चेहरे और आंखों में एक अलग ही तेज और आभा हो, इसलिए आज हम आपको यहां एक ऐसा उपाय बता रहें हैं जिसके उपयोग से आप अपने चेहरे तथा आंखों में नया तेज और आभा पा सकते हैं। जी हां, आज हम आपको एक ऐसा उपाय बता रहें हैं जिसको अपने जीवन में प्रयोग करने से आप अपने चेहरे का आकर्षण बढ़ा सकते हैं। असल में हमारे देश में योग का विकास प्राचीन काल से बड़े स्तर पर हुआ है और उसकी अलग अलग कई शाखाएं भी तैयार हुई, जो मानव जीवन को भिन्न-भिन्न फायदे देती रही हैं। इन योग शाखाओं में से एक है “हठ योग”, यह शाखा अपने में काफी प्राचीन और प्रभावशाली रही है। नाथ संप्रदाय के लोगों ने इसका व्यापक स्तर पर प्रचार किया। आज हम आपको इस शाखा की एक साधना के बारे में बता रहें हैं जिसको “त्राटक साधना” कहा जाता है। इसको करने वाले साधक के चेहरे का आकर्षण तो बढ़ता ही है, साथ ही उसके नेत्रों की ज्योति भी सामान्य मानव से ज्यादा हो जाती है तथा सभी नेत्र रोग भी गायब हो जाते हैं, तो आइए जानते हैं इस त्राटक साधना के बारे में।

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सबसे पहले हम आपको यह जानकारी दे दें कि त्राटक साधना आखिर होता क्या है और इस बारे में “हठ योग” क्या कहता है। “हठयोग प्रदीपिका” नामक हठ योग के ग्रन्थ में त्राटक साधना के बारे में बताते हुए लिखा गया है कि

“निरीक्षे त्रिश्चलदृश्या सूक्ष्म लक्ष्यं समाहितः
अश्रु संपात पर्यन्तं आचार्ये स्त्राटय स्मृतम्॥”

अर्थात निश्छल द्रष्टि से चित्त को एकाग्र कर लक्ष्य को तब तक देखना जब तक आपकी आंखों में आंसूं न आ जाएं, त्राटक कहलाता है।

आगे त्राटक के फायदों को बताते हुए लिखा गया है।

“मोचनं नेत्र रोगाणां तन्द्रादीनां कपाटकम्।
यत्रतस्त्राटके गोप्यं यथा हाटक षेटकम्-हठयोग प्रदीपिका।”

अर्थात यह त्राटक साधक के नेत्रों के सभी रोगों को हटाने वाला है तथा साथ ही यह आलस्य और तंद्रा को दूर करता है, इसलिए इसको गुप्त रखना चाहिए।

इस प्रकार से इस साधना के ये लाभ हैं, जिनके कारण व्यक्ति के चेहरे तथा आंखों पर विशेष तेज आ जाता है। इस साधना को किसी एक्सपर्ट व्यक्ति के दिशा निर्देशन में ही करना चाहिए अन्यथा हानि होने की भी संभावना होती है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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