आज के दौर में हर जगह पर आपको नकारात्मक सोच का कोई न कोई उद्धरण मिल ही जाएगा और इससे दुनिया का शायद ही कोई मुल्क बचा हो। आज आपको जगह-जगह पर दंगे और लड़ाई के किस्से सुनने को आसानी मिल जाते है इसका कुल कारण यह है कि मानव में एक दूसरे के प्रति सहृदयता नहीं रही, समता नहीं रही और मानव सिर्फ अपने निजी स्वार्थ के लिए ही सब कुछ करने पर तुल गया है परंतु आज हम आपको अपने ही देश की एक ऐसी ही घटना के बारे में जानकारी देने के लिए जा रहें हैं जिसको जानने के बाद में आपको यह विश्वास हो जायेगा की सभी की उन्नति में ही अपनी उन्नति समझनी चाहिए यानि यदि हम दूसरे लोगों के उपकार की भावना को अपने ह्रदय में रखेंगे तो हमारा उपकार स्वयं ही हो जायेगा,आइये जानते हैं हालही में घटे इस मानवीय किस्से को।
हालही में मानवीयता, सौहार्द तथा एकता की एक ऐसी घटना देखने को मिली है जिसकी मिसाल नहीं दी जा सकती है। इस घटना में एक हिंदू व्यक्ति ने एक मुस्लिम महिला को अपनी किडनी उसकी जान बचाने के लिए दान कर दी तो दूसरी और एक मुस्लिम व्यक्ति ने भी अपनी किडनी को एक हिंदू महिला के जीवन के लिए दान कर दिया। इस प्रकार से दो अलग-अलग धर्म के लोगों ने एक दूसरे की ही मदद नहीं कि बल्कि मानवीयता का मान भी बढ़ाया है। असल में हसनपुर की रहने वाली अनीता महरा की किडनियां खराब हो गई थी और दूसरी और अजमेरी गेट निवासी तस्लीमा की भी किडनियां खराब हो चुकी थी और ये दोनों ही महिलाएं एक ही अस्पताल में भर्ती थी। संयोग से अनीता के पति का ब्लड ग्रुप तस्लीमा से और तस्लीमा के पति का ब्लड ग्रुप अनीता से मैच कर गया और इसके बाद में दोनों ही लोगों ने अपनी-अपनी किडनी एक दूसरे की महिलाओं के लिए दान कर दी। इससे दोनों महिलाओं को एक और नया जीवन मिल गया वहीं दूसरी और दोनों ही लोगों के इस कार्य से मानवता और भाईचारे का मान भी बढ़ा।