आपने अक्सर देखा होगा कि विवाहित महिलाएं कमर से ऊपर के भाग पर सोने के आभूषण पहनती हैं, तो नीचे के भाग पर चांदी के, पर बहुत कम लोग ही इसके पीछे के असल तथ्य को जानते हैं। यदि आपसे यह पूछा जाएं कि क्या आपने सोने की पायल देखी है या आपने सोने की बिछिया देखी है, तो आपका उत्तर यकीनन “नहीं” होगा।
असल में जितनी भी विवाहित महिलाएं होती हैं, उनके कमर के नीचे के गहने चांदी तथा ऊपर के भाग के गहने जैसे नथुनी, बाली या हार आदि सोने के ही बने होते हैं, लेकिन इस तथ्य को बहुत कम लोग ही जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है। इसलिए आज हम आपको इस बात के पीछे के असल रहस्य को बताने जा रहें हैं। आइए अब आपको विस्तार से बताते हैं इसके पीछे का असल तथ्य को।
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सबसे पहली बात तो यह है कि हमारा शरीर ग्रहों के कारण प्रभावित होता है। असल में शरीर के हर अंग पर किसी न किसी ग्रह का विशेष प्रभाव होता है। सामान्य तौर पर मानवीय शरीर को दो ग्रहों में प्रतिबंधित किया गया है। एक सूर्य तथा दूसरा चन्द्रमा। भारतीय दर्शन के अनुसार हमारे शरीर में आत्मा का वास हमारे हृदय में होता है और मन का वास पूरे शरीर पर होता है। इस तथ्य को लेकर ही भारतीय ज्योतिष दर्शन ने प्राचीन काल से ही विवाहित महिलाओं के कमर से ऊपर सोने तथा नीचे के भाग पर चांदी के गहने पहनने का नियम बनाया था।
असल में इस नियम के पीछे यह तथ्य था कि सोना सूर्य का प्रतीक धातु होता है और यदि इसको गले में पहना जाता है, तब यह हमारी आत्मा के सबसे करीब होता है और आत्मा को जाग्रत अवस्था में रखने में लाभदायक होता है। जब की दूसरी ओर मन का अधिकार पूरे शरीर पर होता है, इसलिए वह क्रियाएं कर पाता है। चांदी धातु चन्द्रमा की प्रतीक धातु मानी जाती है, इसलिए चांदी के गहने महिलाएं अपनी कमर के नीचे के हिस्से पर पहनती हैं।