मुस्लिम धर्म में प्रार्थना करने को “नमाज अदा करना” कहा जाता है पर बहुत ही कम लोग जानते हैं कि नमाज अदा करने पर हमारे शरीर की जिन पोजिशन से होकर गुजरता है वह हमारे शरीर और स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक हैं। आज आपको बताते हैं कि यह लाभ आपको नमाज के दरमियान किस प्रकार से मिलते हैं।
1- नियात –
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इसमें नमाजी व्यक्ति अपने दोनों हाथों को ऊंचा करके अपनी छाती पर इस प्रकार से रखता है ही वे एक दूसरे के ऊपर आ जाए और अपने पांव जोड़ कर खड़ा होता है।
फायदा-
इस पोजिशन या स्थिति में खड़े होने पर नमाजी के शरीर और मन को फ़ायदा पहुंचता है। छाती पर हाथ रखे होने पर वह अपने लंग्स, हार्ट और तंत्रिका तंत्र व्यक्ति के कंट्रोल में रहते हैं, इससे नमाजी का हृदय भी भावात्मक होता है इससे उसमें प्रेम और उदारता की भावना आती हैं।
2- रूकू –
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इस दूसरे चरण में व्यक्ति आगे की ओर झुकता है तथा अपनी हथेलियों को अपने घुटनों के ऊपर रखता है।
फायदा –
यह स्थिति योग के अर्द्ध उत्तानासना की तरह ही होती हैं, इससे जहां नमाजी की पीठ की मांसपेशियां लचीली होती हैं वहीं पेट व आंत के आर्गन भी अच्छे से काम करने लगते हैं। आगे की ओर झुकने की वजह से नमाजी का किडनी तंत्र भी सही रहता है तथा आंख, ब्रेन तथा मुंह रक्त का परिसंचरण अच्छा होता है इससे ये अंग अच्छे से लाभान्वित होते हैं।
3- सजदा –
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इस स्थिति में नमाजी अपने दोनों पैरों को पीछे मोड़ कर बैठता है और अपने सिर को धरती पर लगता है तथा अपने दोनों हाथों को मुंह के दोनों और रखता है।
फायदा –
यह स्थिति कुछ योग के वज्रासन जैसी ही होती है, इससे नमाजी का डाइजेस्टिव अच्छे से काम करता है और पाचन क्षमता भी बढ़ती है। इसके अलावा इससे शरीर से निचले हिस्से की मसाज भी हो जाती है जिसके कारण शरीर की मांसपेशिया लचीली और स्वस्थ बनती हैं।
4- अंतिम चरण –
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नमाज अदा करने के अंतिम चरण में व्यक्ति अपने सिर को दाहिनी और बायीं और घुमाता है।
फायदा –
इस प्रकार से गर्दन घुमाने से कंधो और गर्दन की मांसपेशियां तनावमुक्त होती हैं। इस प्रकार से यदि कोई दिन में पांच वक्त नमाज अदा करता है तो उसका शरीर ही स्वस्थ नहीं रहता है बल्कि शरीर पूरी तरह ऊर्जावान भी रहता है और मन में एकाग्रता बढ़ती तथा वह शांत रहता है।