जीवन में किसी बड़े काम को अंजाम देने के लिए किसी निश्चित उम्र की आवश्यकता नहीं होती, कि आप सोचें कि जब मैं इस उम्र का हो जाऊंगा तभी इस काम को करूंगा। जब मन किसी चीज़ को करने की गवाही दे, तब उस काम को पूरा कर लेना चाहिए। जहां बड़े-बड़े लोग पूरी ज़िन्दगी इस सोच में बिता देते हैं कि मौक़ा मिलने पर वह गरीबों की मदद करेंगे, वहीं एक 9 साल की छोटी सी बच्ची मुस्कान ने गरीब बच्चों की सहायता करने का तरीका स्वयं ही ढूंढ़ निकाला।
झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों के लिए चलाती हैं लाइब्रेरी-
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मुस्कान भोपाल की रहने वाली हैं और तीसरी कक्षा में पढ़ती हैं। वह आस-पास के गरीब बच्चों के लिए एक लाइब्रेरी चलाती हैं। मुस्कान की लाइब्रेरी का नाम बाल पुस्तकालय है। एक छोटी बच्ची के इस बड़े काम को सुन कर बड़े-बड़े लोग दंग रह जाते हैं। मुस्कान हर रोज़ शाम को 4 बजे अपने स्कूल से घर लौटती हैं। स्कूल से घर आकर वह अपने घर के बाहर बहुत सी किताबों को सजाती हैं और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को खुद कहानियां पढ़-कर सुनाती हैं। वह कहानी के माध्यम से बच्चों को पढ़ने की प्रेरणा देती हैं।
जिस उम्र में मुस्कान गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए इतना महान काम कर रही है, उस उम्र में बाकी बच्चे अपना खुद का काम भी ठीक से नहीं कर पाते। इतनी कम उम्र में बड़ी और अच्छी सोच रखना हर किसी के बस की बात नहीं। इसलिए अगर ये कहा जाए कि समझदारी, समझ से होती है उम्र से नहीं तो गलत नहीं होगा।
सरकार से भी मिली मदद-
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मुस्कान के काम की सराहना हर कोई करता है। इसलिए यह खबर सरकार तक भी पहुंची और उन्होंने अपनी ओर से मुस्कान की छोटी सी मदद भी की। उन्होंने मुस्कान की लाइब्रेरी के लिए 25 पुस्तकें भेजी। जिसके बाद अब मुस्कान की लाइब्रेरी में 119 पुस्तकें हो गई हैं। राज्य सरकार के द्वारा मुस्कान को लाइब्रेरी चलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसलिए मुस्कान अब देश की सबसे छोटी लाइब्रेरियन बन गई हैं।