जब भी आप कभी बाल कटवाने के लिए सैलून जाते हैं तो आपने वहां बाल काटते या शेविंग करते समय मर्दों को ही देखा होगा। वहीं आज के दौर में बहुत से सैलून में यह कार्य आपको महिलाएं भी करती दिखाई देंगी पर क्या आप देश की सबसे पहली महिला नाई के बारे में जानते हैं, शायद आप नहीं जानते होंगे इसलिए आज हम आपको बता रहें हैं देश की सबसे पहली महिला नाई के बारे में आइये जानते हैं इनके बारे में।
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इस महिला का नाम था ‘शांतबाई श्रीपति यादव”, इस महिला की यह कहानी है आज से 40 साल पुरानी। उस समय यह महिला एक गांव में अपने परिवार के साथ शांति से अपना जीवन गुजार रही थी। लेकिन इस महिला के साथ कुछ ऐसा घटा जिसके कारण उसको यह पुरुषों वाला कार्य करना पड़ा। शांताबाई की शादी मात्र 12 साल की उम्र में ही हो गई थी और उस समय उसके पिता नाई का कार्य करते थे। उसके पति “श्रीपति” भी नाई ही थे। शादी के कुछ सालों के बाद में शांताबाई के पति का निधन हो गया और उनके अलावा गांव में अन्य कोई नाई नहीं था, उस समय शांताबाई ने अपनी बेटियों के दो वक्त के भोजन के लिए इस आखरी विकल्प को चुना। शुरुआत में कई लोगों ने शांतबाई का मजाक उड़ाया और उनकी खिल्ली उड़ाई पर शांतबाई ने एक नाई बनने का फैसला कर लिया था। हरिभाऊ नामक एक व्यक्ति सबसे पहले शांताबाई के ग्राहक थे। शांतबाई अपना काम करने के लिए बच्चों को पड़ोस में छोड़ जाया करती थी और अधिक ग्राहकों की तलाश के लिए 4 से 5 किमी की दूरी पर स्थित गांवों में भी जाया करती थी।
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शांतबाई को कई संगठनों की और से नाई समाज का गौरव बढ़ाने तथा उनको प्रेरणा देने के लिए पुरूस्कार मिले। शांतबाई पशुओं के भी बाल काटती है और वर्तमान में वे इसके लिए 100 रुपये लेती है। वहीं दूसरी और वे पुरुषों के दाड़ी और बाल काटने के लिए 50 रूपए लेती है। खैर जो भी हो शांतबाई ने समाज को यह सन्देश दिया है कि कोई भी कार्य जिस प्रकार से अन्य पुरुष करते हैं उसी प्रकार से महिलाएं भी कर सकती हैं।