भारत देश को गावों का देश कहा जाता है। असल में भारत की अधिकतर जनसंख्या गावों में ही बसती है। जैसा की आप जानते ही हैं कि गावों की संस्कृति अपने में अलग ही होती है लेकिन कुछ ऐसे गांव भी है। जिन्होंने अपने अलग ही कायदे तथा कानून बनाये हुए हैं। इन गावों में आज भी पंचायत लगती है तथा गांव से जुड़ा हर फैसला गांव के पंच ही सुनाते हैं। देश में संविधान बनने के बाद प्रत्येक व्यक्ति को देश के हर हिस्से में घूमने की आजादी है, लेकिन इन गावों में आज भी कोई अपरिचित व्यक्ति प्रवेश नही कर सकता है। यहां तक की देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भी यहां आने से पहले अनुमति लेनी पड़ती है। आज हम आपको यहां ऐसे ही गावों से परिचित कराने जा रहे है। आइये जानते हैं इनके बारे में।
झारखंड में हैं ये गांव
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आपको बता दें कि ये सभी गांव करीब 3 दर्जन है तथा भारत के राज्य झारखंड की राजधानी रांची से महज 5 किमी की दूरी पर हैं। इन सभी गावों में अपने खुद के कायदे-कानून बनाये हुए है यानि इनका अपना खुद का ही संविधान है। इन सभी गावों के कायदे तथा नियम भी बहुत सख्त हैं। इनकी ग्रामसभाओं में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री अथवा राजयपाल भी बिना अनुमति के नहीं प्रवेश कर सकता हैं।
बेरीकेटिंग पर ही है बेरीकेटिंग
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इन सभी गावों की सीमा पर बेरीकेटिंग की हुई है। यह बेरीकेटिंग इन गावों के स्थाई निवासियों द्वारा की गई है। गांव के बाहर लगे बोर्ड पर साफ साफ लिखा रहता है कि “बिना आज्ञा के गांव में प्रवेश करना मना है।” कुल मिलाकर गांव के अंदर किसी भी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश की अनुमति नही है।
अपना गांव अपना कानून
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रांची के पास वाले इन गावों में भारत का कानून लागू नहीं होता है बल्कि इन लोगों के अपने बनाये कानून ही चलते हैं। इन कानूनों को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक तोड़ नहीं सकते हैं। प्रत्येक कानून के लिए गांव के लोग बहुत कठोर हैं। देश के राजनेता भी इन गावों के कानून को बदल नहीं सकते हैं। इन गावों के लोग ऊंचे पेड़ों पर मचान लगा कर बाहर से आने वाले लोगों पर्व निगाह रखते हैं तथा यदि कोई बाहरी व्यक्ति गांव में प्रवेश कर जाता है तो उसको पंचायत में गांव के कानून के अनुसार सजा सुनाई जाती है।