देवदासी: भारतीय समाज में फैली एक कुप्रथा

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देवदासी प्रथा एक प्राचीन परंपरा है, जो हज़ारों वर्षों से भारत में चली आ रही है। इस तरह की परंपराएं हमारे देश में कहने को तो ख़त्म हो गई हैं, क़ानून ने भी इस तरह की परंपराओं पर रोक लगाई हुई है, लेकिन फिर भी देश के कई इलाकों में इसके अभी भी होने की ख़बरें आती रहती हैं। अभी कुछ समय पहले ही गृह मंत्रालय द्वारा इस प्रथा को पूरी तरह से रोके जाने का आदेश दिया गया था।

क्या थी यह परंपरा-

1Image Source: https://sangeethas.files.wordpress.com/

1. इस परंपरा की शुरूआत छठीं सदी में हुई थी।
2. इस प्रथा में कुंवारी लड़कियों की शादी भगवान के साथ कराने का रिवाज़ था।
3. इसके बाद इन लड़कियों को मंदिरों में दान में दे दिया जाता था।
4. इस प्रथा को करने वाले स्वयं माता-पिता होते थे, वह अपनी बेटियों की शादी ईश्वर के साथ करवा देते थे।
5. अगर मंदिर में मांगी गई मन्नत पूरी हो जाती थी तब माता-पिता मंदिर को ही अपनी बेटी दान कर देते थे।
6. किसी देवता से शादी होने के बाद इन लड़कियों को देवदासी कहा जाता था।
7. अपनी पूरी ज़िन्दगी इन लड़कियों को इसी तरह देवदासी बनकर काटनी पड़ती थी।
8. इस दौरान इन लड़कियों का शारीरिक शोषण भी किया जाता था।
9. विष्णु कौटिल्य के अर्थशास्त्र, मतस्य पुराण व विष्णु पुराण में भी देवदासी प्रथा का ज़िक्र मिलता है।

ये मशहूर सिंगर भी इसी कम्युनिटी से थीं

2Image Source: http://visualdisobedience.com/

1. कहने को यह एक प्राचीन प्रथा है, लेकिन बीतते समय के साथ इसके मूल रूप में भी परिवर्तन आया है।
2. दक्षिण भारत की प्रसिद्ध क्लासिकल सिंगर एम. एस सुब्बुलक्ष्मी भी देवदासी कम्युनिटी से ही थी। उनकी दादी एक वायनलिस्ट और मां एक वीणा वादक थीं।

इस कुप्रथा का कालिदास के मेघदूत में भी है उल्लेख

3Image Source: http://www.epubyourbook.com/

1. देवदासी का अर्थ है सर्वेंट ऑफ़ गॉड।
2. इन्हें मंदिरों में पूजा-पाठ की तैयारियां, मंदिरों के रख-रखाव व मंदिरों में होने वाले नृत्य स्वयं ही करने होते थे।
3. कालिदास के मेघदूत में जीवन भर कुंवारी रह कर मंदिरों में नृत्य करने वाली कन्याओं की चर्चा की गई है। संभवतः यह कन्याएं देवदासियां ही रही होंगी।

देवदासियों पर कई किताबें लिखी गई हैं

4Image Source: http://i9.dainikbhaskar.com/

देवदासियों के विषय में कई इतिहासकारों ने अपनी-अपनी रचनाएं लिखी हैं। एनके. बसु ने इस पर हिस्ट्री ऑफ प्रॉस्टिट्यूशन इन इंडिया, एफए मार्गलीन ने इस पर वॉइस ऑफ़ द किंग गॉड नामक किताब लिखी है। इसके अलावा रिचुअल्स ऑफ़ देवदासी, मोतीचंद्रा की स्टडीज इन द कल्ट ऑफ मदर गॉडेस इन एन्शियंट इंडिया व बीडी सात्सोकर की पुस्तक हिस्ट्री ऑफ देवदासी सिस्टम में इस प्रथा के विषय में काफी कुछ पढ़ने को मिलता है।

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