हमारे भारत देश में यह सुविधा तो है कि पिज्जा 30 मिनट के अंदर ना पहुंचे तो आप को मुफ्त पिज्जा मिल जाएगा, लेकिन यहां कोई और सुविधा कभी समय से नहीं मिलती हैं। जी हां, दरअसल भुवनेश्वर से एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां पर एक आदिवासी शख्स अपनी पत्नी के शव को कंधे पर लादकर कम से कम दस किलोमीटर तक पैदल ही चला। उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उसे शव को अस्पताल से घर ले जाने के लिए कोई एंबुलेंस की सुविधा नहीं दी गई।
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दरअसल लाख कोशिशों के बाद भी जब उसे अस्पताल की तरफ से कोई सुविधा नहीं दी गई तो उसने शव को पैदल ले जाने की ठान ली। आप देख रहे हैं कि वीडियों में यह शख्स किस तरह अपनी पत्नी के शव को लेकर जा रहा है, और इस शख्स के साथ उसकी 12 साल की लड़की किस तरह रोते-रोते पीछे चल रही हैं। दरअसल 42 साल की अमंग की मृत्यु टीबी से मंगलवार की रात को हो गई थी, क्योंकि वह टीबी से काफी लंबे समय से ग्रस्त थी। पत्नी की मृत्यु के बाद दाना मांझी को उसकी पत्नी के शव ले जाने के लिए अस्पताल की ओर से किसी भी वाहन की व्यवस्था नहीं की गई और उसे जल्द ही शव को ले जाने के लिए कहा गया। ऐसे में पैसे के आभाव में दाना मांझी ने अपनी पत्नी के शव को कपड़े में लपेटकर उसे कंधे पर ही उठाकर गांव जाने का फैसला किया। बाद में रास्ते में लोगों ने उसे देखा और उसकी मदद की। वहीं अस्पताल प्रशासन एम्बुलेंस न देने की बात से इंकार कर रहा है।
क्या देश के गरीब को आज भी सुविधओं से वंचित ही रहना पड़ेगा। आप ही इस बात का निर्णय ले कि क्या हमे ऐसे ही वविकासशील देश की उम्मीद करते हैं।