अजमेर शहर का नाम जब कभी भी आता है तो ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह और पुष्कर की तस्वीरें सहज ही मानव मन में प्रतिबिंबित हो उठती हैं। इसके अलावा यहां पर एक काफी फेमस दुकान है, जिसका नाम है “भूतिया हलवाई”। इस दुकान के पीछे की कहानी काफ़ी दिलचस्प और रोमांचित करने वाली है। आज हम आपको इस दुकान के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं, ताकि आप यह जान सकें कि इस स्वीट शॉप को “भूतिया हलवाई” नाम आखिर क्यों दिया गया।
कैसे पड़ा नाम भूतिया हलवाई –
असल में यह दुकान काफी पुरानी है। इस दुकान को लालजी मूटचंद गुप्ता ने अलवर गेट के पास 1933 में खोला था। उस समय की बात करें तो यहां का एरिया काफी खाली रहता था और शाम से ही यहां पर सन्नाटा पसर जाता था। इसलिए यहां के दुकानदार अपनी दुकानें शाम तक बंद कर के अपने घरों को लौट जाते थे। असल में कुछ लोगों का ऐसा भी मानना था कि रात को इस एरिया में भूत आते हैं, पर लालजी मूटचंद गुप्ता बिना किसी डर के अपनी दुकान में रात भर मिठाइयां बनाते थे। लालजी गुप्ता के रात-रात भर काम करने की वजह से ही उनको लोग “भूतिया हलवाई” कहने लगे और बाद यही नाम उनकी इस दुकान का भी पड़ गया।
Image Source: http://i9.dainikbhaskar.com/
अब भी अच्छी चलती है यह दुकान –
वर्तमान में यह दुकान लालजी के पोते चला रहे हैं। लालजी के पोते सुनील गुप्ता अब इस दुकान पर बैठते हैं। साल भर पहले इस दुकान में चोरी हुई थी। चोरों ने दुकान से डेढ़ हजार रुपए चुराये। इसके साथ-साथ यहां से चोर करीब 3 हजार रुपए के लड्डू भी समेट ले गए थे, क्योंकि इस दूकान के लड्डू बहुत फेमस हैं।