आपने अपने जीवन में बहुत से लोगों की प्रेम कहानियों को सुना होगा। इनमें कुछ ऐसे प्रेमी भी होंगे जिनको लोगों ने मौत के घाट उतार दिया होगा। अपने देश के बहुत से राजा-रानी आज भी ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने अपने जीवन में प्रेम की इबारत को लिखा था। आज इन लोगों के बारे में कुछ ही लोग जानते हैं। समय की धूल की मोटी परत ने आम लोगों के मस्तिष्क से इनका नाम धुंधला कर डाला है। यही कारण है कि आज हम आपको उन ऐतिहासिक लोगों के बारे में बता कर उनके प्रेमगाथा को फिर से आपके समक्ष जीवंत कर रहें हैं।
1 – बाजीराव और मस्तानी
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इन दोनों की प्रेम कथा पर हालही में एक फिल्म भी बनाई गई थी, जो काफी हिट रही। बाजीराव असल में एक मराठा राजा थे और मस्तानी एक मुस्लिम थी जो उनके दरबार में नृत्य करती थी। बाजीराव को मस्तानी से प्रेम हो गया और उन्होंने उससे विवाह भी कर लिया। परंतु मस्तानी कभी भी एक राजरानी वाला अधिकार न पा सकी। माना जाता है कि बाजीराव की मृत्यु के बाद में मस्तानी ने आत्महत्या कर अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था।
2 – साहिबा और मिर्जा
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यह प्रेम कहानी बचपन में कई लोगों ने सुनी होगी। मिर्जा एक जाट थे और जबकि साहिबा एक मुस्लिम लड़की थी। दोनों बचपन से साथ पढ़ें थे। समय के साथ साथ दोनों में प्रेम हो गया। यह बात साहिबा के भाइयों को नागवारा लगी और उन्होंने तलवार से मिर्जा की हत्या कर दी। उसी तलवार से साहिबा ने भी आत्महत्या कर अपने जीवन का बलिदान दे दिया था।
3 – रूपमती और बाज बहादुर
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बाज बहादुर मालवा के एक मुस्लिम सुलतान थे और रूपमती एक हिंदू महिला थी। इन दोनों को एक दूसरे से प्रेम हो गया और इसी कारण तत्कालीन समाज में इन लोगों का काफी विरोध हुआ था, पर दोनों ने विरोध के बाद भी एक दूसरे से विवाह कर लिया था।
4 – रांझा और हीर
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इन दोनों की प्रेम कहाने काफी लोकप्रिय हुई। हीर को रांझे से अलग करने के लिए हीर के परिवार के लोगों ने उसका विवाह कहीं और करा डाला। जब हीर के ससुराल वालों को इस बात का पता लगा तो उन्होंने हीर को जहर खिलाकर मार डाला। इसके बाद में रांझे ने भी जहर खा कर आत्महत्या कर ली थी।
5 – संयोगिता और पृथ्वीराज
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संयोगिता और पृथ्वीराज चौहान ने एक दूसरे को देखें बिना ही प्रेम कर लिया था। इन लोगों ने सिर्फ एक दूसरे की तस्वीर को देखा था। संयोगिता के पिता इस रिश्ते से खफा थे इसलिए उन्होंने जबरन संयोगिता का विवाह कहीं और तय कर डाला था। अंत समय पर विवाह में आकर पृथ्वीराज संयोगिता को विवाह मंडप से उठाकर ले गए थे। इसके बाद में इन दोनों ने विवाह रचाया और आजन्म दोनों एक दूसरे के साथ प्रेम से रहें।