होली एक ऐसा त्योहार है जिसे देशभर में लोग काफी हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। जहां देश के दूसरे भागों में ख़ासतौर पर पुरुष होली काफी उत्साह के साथ मनाते हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में एक ऐसा गांव भी है जहां होली सिर्फ महिलाएं ही खेलती हैं। इस गांव में पुरुषों के होली खेलने पर मनाही है। इस दिन यहां के सभी पुरुष गांव से बाहर चले जाते हैं और पूरे गांव में सिर्फ महिलाओं का ही आधिपत्य रहता है। वह पूरे जोश के साथ होली के कार्यक्रम में हिस्सा लेती हैं और पुरुषों की मौजूदगी के बिना इस त्योहार का भरपूर लुत्फ़ उठाती हैं।
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इस गांव का नाम कुंडरा है। यह गांव यूपी के हिस्से में आने वाले बुंदेलखंड प्रदेश के हमीरपुर जनपद में स्थित है। यूं तो बुंदेलखंड का यह छोटा सा गांव देश के बाकी हिस्सों की तरह ही पुरुष प्रधान है, लेकिन बस एक होली का ही दिन ऐसा होता है जब महिलाओं को पूरी आज़ादी के साथ अपनी ज़िन्दगी जीने का मौक़ा मिलता है। पूरे साल आपको महिलाएं यहां घूंघट में ही नज़र आएंगी। अपने सास-ससुर, जेठ-जेठानी और घर के बाकी सभी बड़े लोगों के आगे हमेशा परदे में रहने वाली यह महिलाएं आज खुद को स्वतंत्र महसूस करती हैं और पूरे उत्साह से होली का मज़ा लेती हैं।
इस गांव के बारे में एक और दिलचस्प बात यह है कि यहां पर बच्चे भी पूरे वर्ष होली खेलने के लिए उतावले रहते हैं। वह पूरे वर्ष रंग और पिचकारी आदि की खरीदारी करते हैं, लेकिन होली वाले दिन यही बच्चे आपको बिल्कुल साफ़ सुथरे कपड़े पहने नज़र आएंगे। आपको ऐसा लगेगा कि आज जैसे होली नहीं दिवाली हो। इस दिन गांव के बच्चे भी घरों में ही रहते हैं।
सभी महिलाएं गांव के राम जानकी मंदिर में इकट्ठा होती हैं और फाग गाती हैं। इसके बाद सभी स्त्रियां उत्साह के साथ होली खेलती हैं। गांव के पुरुष होली क्यों नहीं खेलते इसके पीछे एक वजह है। दरअसल हुआ यूं था कि कुछ वर्ष पहले मेम्बर सिंह नाम का एक डकैत हुआ करता था। उसे पकड़ने पर सरकार की ओर से इनाम भी रखा गया था। एक दिन इस डकैत ने गांव के ही राजपाल नाम के एक आदमी को गोली मारकर उसकी जान ले ली थी। इस घटना से दुखी होकर गांव में कई वर्षों तक होली का त्योहार नहीं मनाया गया।
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काफी समय तक ऐसा ही रहा। महिलाएं यह सब देख कर चुप रहीं, लेकिन फिर एक दिन सभी महिलाएं आगे आईं और उन्होंने पुरुषों को समझाया कि उन्हें होली खेलनी चाहिए, लेकिन जब पुरुष यह बात मानने को तैयार नहीं हुए तो सभी महिलाएं गांव के राम जानकी मंदिर में एकत्रित हुईं और उन्होंने पूरे रस्म के साथ होली का त्योहार मनाने का फैसला किया। यह भी निर्णय लिया गया कि पुरुषों की अब से इस त्योहार में कोई भागीदारी नहीं होगी।
उस दिन से सिर्फ महिलाएं ही यहां होली खेलती हैं और पुरुष इस त्योहार का हिस्सा नहीं होते। इस घटना को काफी वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन भारत का यह शायद एक अकेला ऐसा गांव है जहां स्त्रियां अकेले इस पर्व का आनंद उठाती हैं।